इजराइल की राजनीति और न्यायपालिका के बीच चल रहा संघर्ष अब एक अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मोड़ ले चुका है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर चल रहे पांच साल पुराने भ्रष्टाचार के मुकदमे और उन्हें मिलने वाली संभावित 'माफी' को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजराइली राष्ट्रपति इसाक हर्जोग के बयानों में बड़ा विरोधाभास सामने आया है।
यह विवाद तब गहराया जब फ्लोरिडा के मार-ए-लागो रिसॉर्ट में नेतन्याहू से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने दावा किया कि नेतन्याहू को माफी देने की प्रक्रिया जारी है।
ट्रंप का दावा और हर्जोग का खंडन
सोमवार को डोनाल्ड ट्रंप ने नेतन्याहू को "युद्धकाल का नायक" बताते हुए कहा कि उनके खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामले खत्म होने चाहिए। ट्रंप ने मीडिया के सामने दावा किया कि इजराइली राष्ट्रपति इसाक हर्जोग ने उन्हें आश्वासन दिया है कि माफी (Pardon) की प्रक्रिया "रास्ते में" है। ट्रंप का तर्क था कि एक युद्ध लड़ रहे प्रधानमंत्री को सिगार और शैंपेन जैसे छोटे आरोपों के लिए अदालत के चक्कर नहीं लगाने चाहिए।
हालांकि, राष्ट्रपति हर्जोग के कार्यालय ने तुरंत इस दावे का खंडन कर दिया। आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया गया कि:
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माफी के औपचारिक अनुरोध के बाद से राष्ट्रपति हर्जोग और ट्रंप के बीच इस विषय पर कोई सीधी बातचीत नहीं हुई है।
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माफी देने या न देने का फैसला केवल स्थापित कानूनी प्रक्रियाओं और न्यायिक समीक्षा के आधार पर ही लिया जाएगा।
नेतन्याहू पर क्या हैं आरोप?
बेंजामिन नेतन्याहू इजराइल के इतिहास के पहले ऐसे मौजूदा प्रधानमंत्री हैं, जो पद पर रहते हुए आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे हैं। उन पर मुख्य रूप से तीन आरोप हैं:
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रिश्वतखोरी: पक्षपातपूर्ण फैसलों के बदले महंगे तोहफे लेना।
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धोखाधड़ी: सरकारी पद का दुरुपयोग कर व्यक्तिगत लाभ लेना।
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विश्वासघात: अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर मीडिया कवरेज को नियंत्रित करना।
नेतन्याहू ने इन सभी आरोपों को "पॉलिटिकल विच हंट" (राजनीतिक साजिश) बताया है। 30 नवंबर 2024 को उन्होंने आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति से माफी की मांग करते हुए तर्क दिया कि अदालती सुनवाइयां उनके शासन और युद्ध के संचालन में बाधा डाल रही हैं।
राष्ट्रपति की शक्तियां और कानून
इजराइली कानून के अनुसार, राष्ट्रपति के पास माफी देने का अधिकार है, लेकिन यह प्रक्रिया इतनी सरल नहीं है। आमतौर पर माफी सजा सुनाए जाने के बाद दी जाती है, जबकि नेतन्याहू का ट्रायल अभी चल ही रहा है।
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राष्ट्रीय हित बनाम न्याय: नेतन्याहू का तर्क है कि 'राष्ट्रीय हित' में उन्हें माफी मिलनी चाहिए।
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जनमत का विभाजन: इजराइल की जनता इस मुद्दे पर दो धड़ों में बंटी हुई है। एक वर्ग उन्हें 'अजेय नेता' मानता है, जबकि दूसरा वर्ग इसे न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला मानता है।
[Image showing a split screen: Netanyahu in a courtroom and Trump shaking hands with him]
निष्कर्ष: कूटनीतिक दबाव और घरेलू पेच
डोनाल्ड ट्रंप का बयान नेतन्याहू के लिए एक कूटनीतिक ढाल का काम कर रहा है, लेकिन इजराइल की आंतरिक राजनीति में राष्ट्रपति हर्जोग पर दबाव बढ़ गया है। ट्रंप जहाँ इसे "हीरो की माफी" बता रहे हैं, वहीं इजराइली न्यायपालिका इसे कानून के शासन की परीक्षा मान रही है।
आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या हर्जोग अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुकते हैं या इजराइल की कानूनी निष्पक्षता को बरकरार रखते हैं। फिलहाल, नेतन्याहू के लिए 'माफी' की राह उतनी आसान नहीं दिख रही जितनी ट्रंप ने प्रदर्शित की है।