ग्रेटर नोएडा का नॉलेज पार्क, जो अपनी बड़ी शिक्षण संस्थाओं के लिए जाना जाता है, वहां से एक बार फिर एक दुखद खबर सामने आई है। दिल्ली टेक्निकल कैंपस (DTC) के 26 वर्षीय बीटेक प्रथम वर्ष के छात्र आकाशदीप ने पढ़ाई के दबाव और मानसिक तनाव के कारण अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। छात्र का शव उसके हॉस्टल के कमरे में मिला, जिससे पूरे इलाके में शोक की लहर है।
घटना का विवरण
आकाशदीप नॉलेज पार्क स्थित एसएनएच (SNH) हॉस्टल में रह रहा था। घटना का पता तब चला जब वह काफी समय तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकला। साथ रहने वाले छात्रों ने जब दरवाजा खटखटाया और कोई जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने अनहोनी की आशंका में पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जब दरवाजा खोला, तो आकाशदीप का शव फंदे से लटका पाया गया।
सुसाइड नोट में छलका दर्द
पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है। इस पत्र में छात्र ने विस्तार से अपनी मानसिक स्थिति का वर्णन किया है। नोट के अनुसार, वह अपनी पढ़ाई के अत्यधिक बोझ और मानसिक तनाव को सहन नहीं कर पा रहा था। हालांकि, उसने अपनी मौत के लिए किसी व्यक्ति या संस्था को जिम्मेदार नहीं ठहराया और इसे अपना निजी फैसला बताया।
बढ़ता दबाव और संस्थानों की जिम्मेदारी
ग्रेटर नोएडा जैसे एजुकेशन हब में इस तरह की घटनाएं पहली बार नहीं हुई हैं। अक्सर युवा अपने करियर और ग्रेड्स को लेकर इतने बड़े दबाव में आ जाते हैं कि वे जीवन के महत्व को भूल बैठते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि:
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मानसिक परामर्श की कमी: कॉलेजों में प्रोफेशनल काउंसलर्स का होना अनिवार्य होना चाहिए ताकि छात्र समय रहते अपनी उलझनें साझा कर सकें।
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प्रतिस्पर्धा का बोझ: ग्रेड्स और प्लेसमेंट की दौड़ में छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य कहीं पीछे छूट जाता है।
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संवाद का अभाव: हॉस्टलों और पीजी में रहने वाले छात्रों के बीच आपसी संवाद की कमी उन्हें अकेलेपन की ओर धकेल रही है।
निष्कर्ष
आकाशदीप की मृत्यु न केवल एक परिवार के चिराग का बुझना है, बल्कि यह हमारे शिक्षा तंत्र और समाज के लिए एक चेतावनी भी है। पढ़ाई जरूरी है, लेकिन वह जीवन से बड़ी नहीं हो सकती। संस्थानों को अब केवल सिलेबस पूरा करने पर ही नहीं, बल्कि छात्रों की मानसिक मजबूती और उनके कल्याण पर भी गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है।