सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें बड़ी संख्या में लोगों को स्टेशन पर भीड़ के रूप में दिखाया गया है, जिनमें से अधिकतर ने मुस्लिम पारंपरिक टोपी पहन रखी है। इस वीडियो को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि ये सभी लोग बरेली से पुलिस की कार्रवाई के डर से भाग रहे हैं, क्योंकि वे तौकीर रजा के कहने पर बरेली में इकट्ठा हुए थे और अब हिंसा के बाद पुलिस की कार्रवाई से डरकर शहर छोड़ रहे हैं।
लेकिन, क्या यह दावा सही है? क्या सच में ये लोग हिंसा के बाद भाग रहे हैं? India TV के फैक्ट चेक डेस्क ने इसकी गहराई से पड़ताल की है, और जो सच सामने आया है, वह इन दावों से बिल्कुल अलग है।
क्या हो रहा है वायरल?
एक यूजर ने X (पूर्व में ट्विटर) पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा:
"इनका भूत तो बहुत जल्दी उतर गया। तौकीर रजा के बहकावे में आकर पूरे देश से मुसलमान बरेली में इकट्ठा हुए थे। यूपी पुलिस अब कैमरों में पहचान कर कार्रवाई कर रही है, इसलिए ये सब बरेली छोड़कर भाग रहे हैं।"
वीडियो में स्टेशन पर भगदड़ जैसे हालात नजर आ रहे हैं और लोग भारी संख्या में बाहर निकलते हुए दिखाई दे रहे हैं।
सच क्या है? फैक्ट चेक में क्या निकला?
जब इस वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च के माध्यम से जांचा तो यह वीडियो हमें ‘The Leader Hindi’ नाम के यूट्यूब चैनल पर मिला, जहां इसे 21 अगस्त 2025 को अपलोड किया गया था।
ध्यान देने वाली बात यह है कि बरेली में हिंसा की शुरुआत 26 सितंबर 2025 से हुई थी। यानी यह वीडियो हिंसा से एक महीने पहले का है। इससे साफ हो जाता है कि इस वीडियो का बरेली हिंसा और पुलिस कार्रवाई से कोई संबंध नहीं है।
वीडियो किसका है?
जांच में सामने आया कि यह वीडियो बरेली में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम ‘उर्स-ए-रजवी’ के दौरान का है। यह कार्यक्रम इमाम अहमद रज़ा खान की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में हर साल बरेली में आयोजित होता है। इस दौरान देशभर से हजारों लोग बरेली आते हैं और स्टेशन पर भीड़ आम बात होती है।
इस वीडियो के यूट्यूब कैप्शन में भी ‘उर्स-ए-रजवी’, ‘बरेली’, ‘आला हजरत’ जैसे हैशटैग्स दिए गए हैं, जो इस कार्यक्रम से इसके जुड़ाव की पुष्टि करते हैं।
निष्कर्ष: वायरल दावा फर्जी है
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यह वीडियो बरेली में हुई हालिया हिंसा से पहले का है।
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यह वीडियो धार्मिक आयोजन उर्स-ए-रजवी के दौरान की भीड़ का है।
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वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर कर सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश की जा रही है।
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फैक्ट चेक में यह दावा पूरी तरह से झूठा और भ्रामक साबित हुआ है।
क्या करें?
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ऐसी भ्रामक और सांप्रदायिक अफवाहों से बचें।
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किसी भी वीडियो या खबर को शेयर करने से पहले उसकी सच्चाई जांचें।
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अफवाह फैलाने वालों पर आईटी एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है।
सच को फैलाएं, अफवाह नहीं!
सच्चाई यही है कि यह वीडियो पुलिस कार्रवाई से भागने का नहीं, बल्कि एक धार्मिक आयोजन की समाप्ति के बाद की भीड़ का है। जागरूक बनें, दूसरों को भी सच बताएं।