पाकिस्तान के अशांत क्षेत्रों में एक बार फिर आतंक की गूंज सुनाई दी जब गुरुवार को पेशावर में एक घातक बम धमाका हुआ। इस भीषण विस्फोट में अब तक 9 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि 4 लोग गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। सभी घायल व्यक्ति कानून प्रवर्तन एजेंसियों से जुड़े अधिकारी हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह हमला सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर किया गया था।
घटना का विवरण
न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, डॉन अखबार ने जानकारी दी है कि यह धमाका पेशावर की कैपिटल सिटी में हुआ। धमाके की जगह पर भारी सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं और पूरे क्षेत्र को घेर लिया गया है। पुलिस अधिकारी मियां सईद ने पुष्टि करते हुए बताया कि विस्फोट एक आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) से किया गया था जो पुलिस वैन के रास्ते में लगाया गया था। यह हमला पूरी तरह से योजनाबद्ध था और इसका उद्देश्य पुलिस बलों को जान-माल की क्षति पहुंचाना था।
प्रारंभिक जांच और सुरक्षा इंतजाम
धमाके के तुरंत बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मसूद बंगश ने कहा कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने घटनास्थल को सील कर दिया है और बम निरोधक दस्ता व फोरेंसिक टीम जांच में जुट गई है। अधिकारी साक्ष्य एकत्र कर रहे हैं ताकि इस हमले के पीछे शामिल लोगों की पहचान की जा सके। स्थानीय प्रशासन और सेना के सहयोग से पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
बलूचिस्तान में भी हाल ही में हुआ था धमाका
गौरतलब है कि यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब कुछ ही दिन पहले, 30 सितंबर को बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में भी एक शक्तिशाली धमाका हुआ था। उस विस्फोट में कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई थी और 32 अन्य घायल हुए थे। बलूचिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री बख्त मुहम्मद काकर ने उस हमले में मारे गए लोगों की पुष्टि करते हुए बताया था कि सभी घायलों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बढ़ती आतंकी घटनाएं और चिंता
पाकिस्तान में पिछले कुछ वर्षों से आतंकवादी हमलों में एक बार फिर वृद्धि देखी जा रही है, खासकर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे सीमावर्ती प्रांतों में। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अफगानिस्तान की बदलती स्थिति और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे संगठनों की गतिविधियों के चलते इस तरह के हमले बढ़े हैं। ऐसे में इन घटनाओं से पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
निष्कर्ष
पेशावर में हुआ यह बम धमाका न केवल एक दर्दनाक घटना है, बल्कि यह सुरक्षा व्यवस्था की विफलता की भी ओर इशारा करता है। जिन सुरक्षाबलों पर आम नागरिकों की रक्षा का भार होता है, वे खुद आतंकियों के निशाने पर आ चुके हैं। सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अब इन हमलों को रोकना और आतंक के नेटवर्क को खत्म करना है। यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।