सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) अगले हफ्ते सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करने के लिए अमेरिका पहुँच रहे हैं। इस बहुचर्चित यात्रा के दौरान, MBS ने ट्रंप प्रशासन के सामने एक मेगा-डिमांड लिस्ट रखी है, जो खाड़ी देशों और अमेरिका के बीच पारंपरिक सैन्य सौदों से कहीं आगे जाती है।
न्यूज वेबसाइट मिडिल ईस्ट आई की खबर के अनुसार, जहाँ पहले खाड़ी के शासक केवल लड़ाकू विमानों और मिसाइल सिस्टम के लिए व्हाइट हाउस जाते थे, वहीं MBS की नई लिस्ट में हाई-टेक सौदे शामिल हैं, जिनमें न्यूक्लियर अंब्रेला, F-35 फाइटर जेट, AI ड्रोन, ब्लैकवेल AI चिप्स और बड़े डेटा सेंटर प्रमुख हैं।
1. न्यूक्लियर अंब्रेला: सऊदी की सबसे बड़ी सुरक्षा मांग
सऊदी अरब की सबसे महत्वपूर्ण मांग है कि उसे अमेरिकी 'न्यूक्लियर अंब्रेला' में शामिल किया जाए।
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अर्थ: इसका मतलब है कि अगर सऊदी पर कोई हमला होता है, या कोई परमाणु खतरा आता है, तो अमेरिका उसकी रक्षा अपने परमाणु हथियारों का उपयोग करके करेगा।
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उद्देश्य: सऊदी अरब यह सुविधा इसलिए चाहता है ताकि वह क्षेत्रीय अस्थिरता, विशेषकर ईरान के खतरे, और परमाणु सुरक्षा के लिए पाकिस्तान पर अपनी निर्भरता से मुक्त हो सके।
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वर्तमान स्थिति: जापान और दक्षिण कोरिया पहले से ही इसी अमेरिकी सुरक्षा छतरी के तहत सुरक्षित हैं, जिसके बदले में वे स्वयं परमाणु हथियार नहीं बनाते।
2. सिविल न्यूक्लियर डील पर रियायत
बातचीत में दूसरा बड़ा मुद्दा नागरिक परमाणु समझौता (Civil Nuclear Deal) है। सऊदी अरब ने स्पष्ट कर दिया है कि वह स्वयं यूरेनियम का एनरिचमेंट (enrichment) करेगा, बेचेगा और येलोकेक बनाएगा। यह माँग यूएई से अलग है, जिसने 2009 में अमेरिकी 123 एग्रीमेंट के तहत यूरेनियम समृद्ध न करने का वादा किया था। अमेरिकी सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि रियाद एनरिचमेंट छोड़ने पर सहमत होता है, तो उसकी कीमत अमेरिकी परमाणु हथियारों की तैनाती जैसी मांग हो सकती है।
3. F-35 फाइटर जेट और सैन्य सौदे
MBS 1000 अधिकारियों और 18 विमानों के बड़े दल के साथ अमेरिका आ रहे हैं, जो इस दौरे की गंभीरता को दर्शाता है।
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F-35 पर गतिरोध: सऊदी को 48 F-35 फाइटर जेट मिलने की चर्चा है। हालाँकि, यह सौदा अभी भी अटका हुआ है, क्योंकि इजराइल इसे अपनी क्षेत्रीय सैन्य बढ़त (Qualitative Military Edge) के लिए खतरा मानता है।
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पुराना सौदा: ट्रंप की मई यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने पहले ही $142 बिलियन के रक्षा सौदों पर सहमति जताई थी।
4. AI एजेंडा: चिप्स, ड्रोन और डेटा सेंटर
सऊदी की गली बड़ी रणनीतिक मांग AI क्षमता विकसित करने की है, जिसमें अमेरिका का सहयोग अनिवार्य है:
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AI चिप्स: अमेरिका से ब्लैकवेल AI चिप्स की खरीद।
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डेटा हब: सऊदी फंडेड कंपनी Humain के लिए बड़े डेटा सेंटर और Datavolt का $5 बिलियन का रेड सी डेटा हब स्थापित करना। चिप डिलीवरी में देरी हो रही है, क्योंकि अमेरिका को चीन को टेक्नोलॉजी एक्सेस मिलने की चिंता है।
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AI ड्रोन: सऊदी, अमेरिकी स्टार्ट-अप शील्ड AI के V-BAT ड्रोन्स और उनकी आने वाली वर्टिकल टेकऑफ ड्रोन टेक्नोलॉजी में निवेश करना चाहता है। ये ड्रोन एयर-टू-एयर, एयर-टू-सरफेस हथियार ले जा सकते हैं और फाइटर जेट्स के साथ उड़ने में सक्षम हैं।
MBS का यह दौरा सऊदी अरब की रक्षा, ऊर्जा और तकनीकी भविष्य को सुरक्षित करने की उसकी महत्वाकांक्षा को दर्शाता है, जो खाड़ी क्षेत्र में शक्ति संतुलन को नया आकार दे सकता है।