ताजा खबर

‘युद्ध रुकवाने के लिए भारत पर लगाए प्रतिबंध’, रूस-यूक्रेन की बैठक के बीच अमेरिकी अधिकारी का बड़ा बयान

Photo Source :

Posted On:Wednesday, August 20, 2025

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को रोकने के लिए अमेरिका ने अपनी रणनीति को और भी कड़ा कर दिया है। रूस पर आर्थिक और राजनीतिक दबाव बनाने के लिए अमेरिका ने उसके सहयोगी और ग्राहक देशों पर विभिन्न प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें भारत भी शामिल है। खासतौर पर रूस से सस्ते दामों पर तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की योजना बनाई है। इस संदर्भ में व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने एक बड़ा बयान जारी किया है।

अमेरिका का उद्देश्य: रूस पर बढ़ता दबाव

कैरोलिन लेविट ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को यूक्रेन विवाद को और बढ़ाने से रोकने के लिए भारत समेत कई देशों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। ट्रंप ने पहले से घोषित 25 प्रतिशत टैरिफ को दुगना कर दिया है, यानी अब भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। उनका कहना है कि ये प्रतिबंध रूस पर अतिरिक्त दबाव डालने के लिए जरूरी हैं ताकि रूस युद्ध को समाप्त करने के लिए मजबूर हो।

लेविट ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रंप युद्ध को समाप्त करने के लिए कड़ी पहल कर रहे हैं। उन्होंने कई कदम उठाए हैं, जिसमें भारत पर टैरिफ लगाना भी शामिल है। ट्रंप का मकसद है कि युद्ध जल्द खत्म हो और इससे होने वाले वैश्विक आर्थिक नुकसान को रोका जा सके।

ट्रंप की कूटनीतिक कोशिशें और त्रिपक्षीय बैठक

रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी और इसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से भी बातचीत की। जेलेंस्की के साथ हुई इस मुलाकात के बाद ट्रंप ने त्रिपक्षीय बैठक की संभावना जताई, जिसमें रूस, यूक्रेन और अमेरिका के नेता शामिल हो सकते हैं। ट्रंप ने कहा कि यह दिन उनके लिए बेहद सफल रहा, जबकि जेलेंस्की ने इसे अब तक की सबसे अच्छी बातचीत बताया। ये प्रयास युद्ध को जल्दी समाप्त करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत माने जा रहे हैं।

भारत की भूमिका और अमेरिका की आलोचना

व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत के रूस से तेल आयात पर कड़ी टिपण्णी की है। उन्होंने कहा कि फरवरी 2022 तक भारत का रूस से तेल आयात 1 प्रतिशत से भी कम था, लेकिन अब यह बढ़कर लगभग 15 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया है, जो भारत की कुल तेल खपत का लगभग 30 प्रतिशत से ज्यादा है। नवारो ने आरोप लगाया कि भारत की तेल लॉबी इस अवसर का फायदा उठा रही है। भारत की रिफाइनरियां सस्ते रूसी कच्चे तेल को खरीदकर प्रोसेस करती हैं और फिर उसे महंगे दामों पर यूरोप, अफ्रीका और एशिया के बाजारों में बेचती हैं। यह प्रक्रिया अमेरिका के अनुसार युद्ध को बढ़ावा देने वाली और रूस को आर्थिक लाभ पहुंचाने वाली है।

भारत और अमेरिका के बीच तनाव के बावजूद समन्वय की उम्मीद

हालांकि अमेरिका की यह कड़ी नीति भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा कर सकती है, लेकिन दोनों देशों के बीच संवाद और समझौता जारी है। ट्रंप की कूटनीतिक कोशिशें इस ओर संकेत देती हैं कि वे युद्ध को जल्द खत्म कराना चाहते हैं और इसके लिए सभी पक्षों से बातचीत कर रहे हैं। भारत भी अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए अपने फैसले ले रहा है।

निष्कर्ष

अमेरिका का रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए दबाव बढ़ाना और भारत जैसे सहयोगी देशों पर टैरिफ लगाना एक कूटनीतिक रणनीति है। यह युद्ध के प्रभावों को कम करने और रूस पर आर्थिक पाबंदियां लगाने की कोशिश है। भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच संतुलन साधना होगा। दोनों देशों के बीच बातचीत और सहयोग से ही इस जटिल स्थिति का समाधान संभव है।


अजमेर और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ajmervocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.