इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की यूनाइटेड नेशन्स जनरल असेंबली (UNGA) में हुई उपस्थिति विवादों से घिरी रही। जैसे ही नेतन्याहू मंच पर अपनी स्पीच देने पहुंचे, वहां मौजूद कई अरब, मुस्लिम, यूरोपियन और अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधियों ने उनका जोरदार विरोध किया और कुछ देशों के डिप्लोमेट्स हॉल से बाहर चले गए। इस विरोध प्रदर्शन के चलते आधे से ज्यादा हॉल खाली हो चुका था। हालांकि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल हॉल में बैठा रहा और हॉल में मौजूद कुछ लोगों ने तालियां बजाकर नेतन्याहू का हौसला बढ़ाने की कोशिश की।
हमास के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संकल्प
अपने भाषण में नेतन्याहू ने गाजा पट्टी में सक्रिय फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत दोहराई। उन्होंने कहा कि गाजा से हमास का पूर्ण खात्मा किया जाना चाहिए। नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि इसी मकसद से उनकी सरकार जंग जारी रखे हुए है और वे गाजा पर नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं ताकि आतंकवाद से मुक्त एक नया गाजा बनाया जा सके। उन्होंने यह भाषण तब दिया जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमास के साथ युद्ध खत्म करने के लिए दबाव बढ़ रहा है और कई देशों ने फिलीस्तीन को मान्यता दी है।
नेतन्याहू का अनोखा प्रदर्शन: नक्शा, क्यूआर कोड और बोर्ड
नेतन्याहू की स्पीच में कुछ अनोखे और तकनीकी माध्यम भी देखे गए। उन्होंने अपने भाषण के दौरान एक नक्शा दिखाया, जिस पर कई बड़े निशान लगाकर कुछ महत्वपूर्ण इलाकों को हाईलाइट किया गया था। इसके साथ ही, उन्होंने अपने सूट की जैकेट पर एक क्यूआर कोड भी लगाया था, जिससे वहां मौजूद प्रतिनिधि स्कैन कर सकते थे। यह कदम उनकी रणनीतिक प्रस्तुति का हिस्सा था, जिससे वे अपने संदेश को डिजिटल माध्यम से भी फैलाना चाहते थे।
इसी के साथ, उन्होंने एक बोर्ड भी दिखाया, जिसपर कई मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन (MCQs) लिखे हुए थे। नेतन्याहू ने इस बोर्ड को पढ़कर सभी उपस्थित लोगों को सुनाया, जो एक अलग तरह की प्रस्तुति थी। यह तरीका उन्होंने अपनी बातों को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए अपनाया।
डोनाल्ड ट्रंप और ईरान पर टिप्पणियां
अपने भाषण में नेतन्याहू ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भी प्रशंसा की। उन्होंने ट्रंप के इजरायल के प्रति समर्थन और ईरान के खिलाफ कड़े रुख को सराहा। नेतन्याहू ने बताया कि ट्रंप की विदेश नीति ने इजरायल की सुरक्षा को मजबूत किया है और इस क्षेत्र में स्थिरता लाने में मदद की है। इसके साथ ही, उन्होंने ईरान को क्षेत्रीय खतरे के रूप में चित्रित किया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ईरान पर सख्त कदम उठाने की अपील की।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय में प्रतिक्रिया
नेतन्याहू के भाषण के दौरान हुए विरोध और बायकॉट से स्पष्ट हो गया कि फिलहाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इजरायल के प्रति विभाजन की स्थिति बनी हुई है। अरब और मुस्लिम देशों ने उनकी नीति का कड़ा विरोध किया, वहीं यूरोप और अफ्रीका के कुछ देशों ने भी इस मौके पर अपना विरोध दर्ज कराया। यह विरोध इस बात का संकेत है कि फिलीस्तीन-इजरायल विवाद अभी भी विश्व राजनीति में गहराई से असर डाल रहा है।
हालांकि अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के समर्थन और तालियों से नेतन्याहू को कुछ हौसला मिला, पर यह विरोध प्रदर्शन उनकी छवि और भाषण की विश्वसनीयता पर असर डालने वाला रहा। भविष्य में यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस विवाद में कैसे भूमिका निभाता है और क्या फिलीस्तीन-इजरायल विवाद का कोई स्थायी समाधान निकल पाता है।
निष्कर्ष
नेतन्याहू का UNGA भाषण विवादित रहा, जहां उन्हें कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। उनके हमास के खिलाफ दृढ़ संकल्प और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के प्रति समर्थन के बयान ने कई देशों को असहज किया। इस घटना ने यह साबित किया कि फिलीस्तीन-इजरायल संकट विश्व राजनीति में अभी भी एक संवेदनशील और जटिल मुद्दा बना हुआ है।