बिहार में नई सरकार का गठन हो चुका है और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने एक बार फिर इतिहास रचते हुए 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह क्षण बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में दर्ज किया जा रहा है। 18वीं विधानसभा के लिए दो चरणों में हुए चुनावों में एनडीए गठबंधन ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए कुल 202 सीटों पर जीत हासिल की। इस प्रचंड बहुमत ने यह सुनिश्चित किया कि बिहार में एक बार फिर एनडीए की सरकार बने और नीतीश कुमार के नेतृत्व पर जनता का भरोसा कायम रहे।
नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा उल्लेखनीय रही है। वे पहली बार 3 मार्च 2000 को सिर्फ 7 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन उसके बाद उनकी लोकप्रियता और प्रशासनिक कौशल ने उन्हें बार-बार सत्ता के केंद्र में पहुंचाया। 74 वर्षीय नीतीश कुमार नवंबर 2005 से लगातार बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं, बीच में केवल साल 2014-15 के दौरान 9 महीने का छोटा अंतर रहा।
नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भव्य माहौल दिखाई दिया। पटना के गांधी मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति ने इस अवसर को और भी खास बना दिया। यह साफ संदेश था कि नई सरकार न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
इस बार की सरकार में नीतीश कुमार के साथ दो उपमुख्यमंत्री—विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी—ने भी पद की शपथ ली। इनके अलावा कई विधायकों ने भी मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। कैबिनेट में विजय चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद यादव, श्रवण कुमार, मंगल पांडे, दिलीप जयसवाल और अशोक चौधरी जैसे अनुभवी नेताओं को राज्य मंत्री के रूप में शामिल किया गया है। यह टीम अनुभव, संगठनात्मक मजबूती और प्रशासनिक कुशलता का संतुलित मिश्रण मानी जा रही है।
एनडीए की जीत के बाद नीतीश कुमार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इससे पहले 19 नवंबर को उन्होंने औपचारिक रूप से इस्तीफा सौंपा था, ताकि नई सरकार के गठन की प्रक्रिया आगे बढ़ सके।
शपथ ग्रहण के बाद दिलीप जायसवाल ने कहा, “विकसित बिहार का सपना पूरा करना चुनौती है। कानून के राज में बिहार का विकास ही हमारी प्राथमिकता है।” उन्होंने यह भी बताया कि वे पहले भी मंत्री रह चुके हैं, लेकिन कुछ समय से संगठन की ज़िम्मेदारी संभाल रहे थे। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में चुनाव लड़ने के बाद अब उनका एक बार फिर मंत्रिमंडल में शामिल होना उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता की पुष्टि करता है। नई सरकार के गठन के साथ बिहार में विकास, सुशासन और स्थिरता की नई उम्मीदें जुड़ गई हैं। एनडीए की यह टीम आने वाले वर्षों में बिहार को नई दिशा देने की जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ रही है।