सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक युवक को बिजली के खंभे से बांधकर बेरहमी से पीटा जा रहा है। इस वीडियो के साथ कई यूजर्स यह दावा कर रहे हैं कि यह घटना उत्तर प्रदेश की है और इसका उदाहरण देते हुए वे भाजपा सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ लोग तो यह तक कह रहे हैं कि "अमृतकाल में रामराज्य" के नाम पर गुंडाराज अपने चरम पर पहुंच चुका है, और राज्य सरकार पूरी तरह से विफल हो गई है।
क्या है दावा?
वायरल हो रहे इस वीडियो को फेसबुक और एक्स (पूर्व में ट्विटर) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस कैप्शन के साथ शेयर किया गया:
“बड़े ही शर्म की बात है पर योगी जी को शर्म नहीं आती है। भाजपा सरकार में गुंडाराज हद से ज्यादा बढ़ चुका है। अपराधियों के अंदर से डर समाप्त हो गया है।”
वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा:
"जंगल राज है उत्तर प्रदेश में। मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।"
फैक्ट चेक: दावा निकला भ्रामक
हमने इस वीडियो की फैक्ट चेकिंग की और पाया कि वायरल हो रहा दावा पूरी तरह से भ्रामक और गलत है। वीडियो की जांच हमने Google Reverse Image Search के माध्यम से की, जिसमें एक की-फ्रेम को रिवर्स सर्च करने पर हमें सच्चाई पता चली।
यह वीडियो दरअसल उत्तर प्रदेश का नहीं, बल्कि बिहार के किशनगंज जिले का है। यह घटना बहादुरगंज थाना क्षेत्र की है, जहाँ चोरी के आरोप में लोगों ने एक 18 वर्षीय युवक को पकड़कर बिजली के खंभे से बांध दिया और पीट दिया। यह घटना 23 अगस्त 2025 को हुई थी।
क्या कहती है रिपोर्ट?
वीडियो के संदर्भ में जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने रिपोर्ट प्रकाशित की है। पुलिस अधीक्षक सागर कुमार ने पुष्टि की कि इस मामले में मोज्जम और इजहार समेत कुल 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। घटना के वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन ने तत्परता से कार्रवाई शुरू की।
सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही भ्रामक जानकारी
वायरल पोस्ट्स में गलत जानकारी के साथ एक भ्रामक नैरेटिव तैयार करने की कोशिश की गई कि यह उत्तर प्रदेश का मामला है और इसके जरिए राज्य सरकार को बदनाम किया जा रहा है। इस प्रकार के झूठे दावों का राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
निष्कर्ष:
फैक्ट चेक में यह स्पष्ट हुआ कि वायरल वीडियो का उत्तर प्रदेश से कोई संबंध नहीं है। यह घटना बिहार के किशनगंज जिले की है, और इसमें चोरी के शक में भीड़ ने कानून हाथ में लिया।
इस तरह की वायरल और भ्रामक पोस्टों से सावधान रहने की आवश्यकता है। किसी भी वीडियो या समाचार को बिना जांचे-परखे साझा करना अफवाह और नफरत फैलाने का जरिया बन सकता है, जो सामाजिक सौहार्द्र के लिए खतरा है