रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और वैश्विक राजनीति में इसकी गूंज लगातार सुनाई दे रही है। इस बीच एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या अमेरिका अपनी सेना को यूक्रेन में तैनात करेगा? इस पर अब व्हाइट हाउस की ओर से एक महत्वपूर्ण बयान सामने आया है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव का बयान
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने स्पष्ट किया है कि अमेरिका जमीनी सेना (Ground Forces) को यूक्रेन में तैनात नहीं करेगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी दी जाती है, तो हवाई सेना (Air Force) की सीमित तैनाती पर विचार किया जा सकता है। यह बयान उस समय आया है जब रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म कराने के प्रयास फिर से तेज हो गए हैं।
कैरोलिन लेविट के अनुसार:
"अमेरिका युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं होना चाहता, लेकिन यदि सुरक्षा गारंटी के लिए जरूरत पड़ी, तो हवाई क्षेत्र में तैनाती संभव है।"
यह बयान यह संकेत देता है कि अमेरिका किसी सैन्य टकराव में फंसने से बचना चाहता है, लेकिन साथ ही वह यूक्रेन को पूरी तरह अकेला भी नहीं छोड़ना चाहता।
ट्रंप का रुख साफ: "जमीन पर सैनिक नहीं भेजेंगे"
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मसले पर अपना रुख दोहराते हुए कहा है कि अमेरिकी सेना को यूक्रेनी जमीन पर तैनात नहीं किया जाएगा। हालांकि वे यह भी मानते हैं कि यूक्रेन को किसी न किसी रूप में सुरक्षा की गारंटी दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर अगले 15 दिनों में कोई समाधान नहीं निकलता, तो या तो युद्ध खत्म होगा या और भीषण तबाही मच सकती है।
रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की कोशिशें
15 अगस्त 2025 को अलास्का में ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात हुई थी। इस बैठक का उद्देश्य युद्ध समाप्त कराना था। हालांकि, कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। पुतिन ने शांति वार्ता के लिए तैयार होने की बात कही, लेकिन साथ ही उन्होंने तीन सख्त शर्तें रखीं:
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यूक्रेन को रूस के कब्जे वाले क्षेत्रों पर दावा छोड़ना होगा।
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यूक्रेन को NATO में शामिल होने का सपना छोड़ना होगा।
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यूक्रेन को पश्चिमी देशों से दूरी बनानी होगी।
इन शर्तों को यूक्रेन ने पूरी तरह नकार दिया।
18 अगस्त को ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच भी बैठक हुई। इसमें यूरोपीय यूनियन, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली के नेता भी शामिल हुए। जेलेंस्की ने पुतिन से बात करने की इच्छा तो जताई, लेकिन रूस की शर्तों को मानने से साफ इनकार कर दिया। साथ ही उन्होंने सुरक्षा गारंटी की मांग दोहराई।
क्या होगा आगे?
अमेरिका और यूरोपीय देशों पर अब जबरदस्त दबाव है कि वे यूक्रेन को सैन्य और रणनीतिक समर्थन दें, लेकिन प्रत्यक्ष युद्ध में शामिल हुए बिना। इस स्थिति में अमेरिकी हवाई सेना की सीमित तैनाती एक बीच का रास्ता हो सकता है — जिससे रूस को सख्त संदेश जाए लेकिन पूर्ण युद्ध की स्थिति न बने।
व्हाइट हाउस के इस ताजा बयान से साफ है कि अमेरिका रणनीतिक रूप से सक्रिय रहेगा, लेकिन सीधी लड़ाई से बचना चाहेगा। आने वाले हफ्तों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ट्रंप की मध्यस्थता में क्या शांति वार्ता संभव हो पाएगी, या फिर हालात और बिगड़ेंगे।
निष्कर्ष:
व्हाइट हाउस ने अभी तो जमीनी सेना भेजने की संभावना को खारिज कर दिया है, लेकिन हवाई ताकत के जरिए यूक्रेन को रक्षा कवच देने के विकल्प खुले रखे हैं। यह अमेरिका की “संतुलित रणनीति” का हिस्सा है — युद्ध में कूदे बिना सहयोगी देशों को समर्थन देना।