कनाडा में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका सिर्फ एक पर्यवेक्षक की नहीं रही, बल्कि वैश्विक मंच पर एक सशक्त साझेदार के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की नीतियों, रिश्तों और वैश्विक सहयोग की भावना को मजबूती से प्रस्तुत किया। इस समिट के दौरान सबसे चर्चित क्षण रहा – पीएम मोदी और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी की मुलाकात, जो दोनों देशों के बीच तेजी से बढ़ती मित्रता की प्रतीक बन गई।
पीएम मोदी और पीएम मेलोनी की गर्मजोशी भरी मुलाकात
कनाडा के कनानास्किस में हुई इस मुलाकात ने विश्व समुदाय का ध्यान खींचा। दोनों नेताओं ने खुले दिल से मुलाकात की, हाथ मिलाया और एक-दूसरे के साथ मित्रवत व्यवहार प्रदर्शित किया। इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने मुलाकात के तुरंत बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा:
“इटली और भारत, एक महान मित्रता से जुड़े हुए हैं।”
इस पोस्ट पर पीएम मोदी ने प्रतिक्रिया दी और लिखा:
“मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं, पीएम जियोर्जिया मेलोनी। इटली के साथ भारत की दोस्ती और मजबूत होगी, जिससे हमारे लोगों को बहुत लाभ होगा।”
यह संवाद न केवल दोनों देशों के बीच सहयोग को दिखाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत अब विश्व मंच पर एक ‘सॉफ्ट पावर’ के रूप में उभर रहा है जो रणनीतिक साझेदारी और सहकार्य को महत्व देता है।
सस्टेनेबिलिटी, ऊर्जा और उद्योग पर साझेदारी
इस महत्वपूर्ण मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने विशेष रूप से तीन क्षेत्रों में सहयोग को प्राथमिकता दी:
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सस्टेनेबिलिटी (सतत विकास)
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एनर्जी ट्रांजिशन (ऊर्जा रूपांतरण)
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इंडस्ट्री (उद्योग और व्यापार)
इटली और भारत, दोनों ही अपने-अपने क्षेत्र में प्रमुख औद्योगिक और नवाचार-प्रधान अर्थव्यवस्थाएं हैं। दोनों की साझेदारी से न केवल दोनों देशों को लाभ होगा, बल्कि यह यूरोप और दक्षिण एशिया के बीच मजबूत सहयोग का आधार भी बनेगा।
कनाडा के पीएम मार्क कार्नी से मुलाकात
जी7 समिट के दौरान पीएम मोदी ने कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से भी मुलाकात की। कार्नी ने पीएम मोदी को इस विशेष आयोजन में आमंत्रित किया था। मोदी ने इस अवसर को सौभाग्य बताते हुए कहा कि उन्हें कनाडा की जनता से जुड़ने और सहयोग की भावना को और गहरा करने का अवसर मिला। दोनों नेताओं ने भारत-कनाडा संबंधों में सुधार के लिए सहयोग और संवाद की आवश्यकता को स्वीकार किया।
हाल के वर्षों में भारत और कनाडा के संबंधों में उतार-चढ़ाव रहा है, लेकिन यह मुलाकात उन संबंधों को एक नई दिशा देने की पहल के रूप में देखी जा रही है।
फ्रांस और जर्मनी के नेताओं से द्विपक्षीय वार्ता
पीएम मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज से भी औपचारिक बैठकें कीं।
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मैक्रों के साथ उन्होंने रक्षा, परमाणु ऊर्जा और इंडो-पैसिफिक रणनीति पर चर्चा की। फ्रांस भारत का एक महत्वपूर्ण रक्षा साझेदार है, और राफेल डील के बाद दोनों देशों के बीच सहयोग और मजबूत हुआ है।
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चांसलर मर्ज के साथ बैठक में व्यापारिक सहयोग, सुरक्षा मामलों और आतंकवाद से निपटने की रणनीति पर विचार-विमर्श हुआ।
ब्रिटेन और अन्य नेताओं से भी मुलाकात
ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से यह मोदी की पहली मुलाकात रही। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार, आपसी निवेश और भारतीय डायस्पोरा के योगदान पर चर्चा की।
साथ ही, पीएम मोदी ने दक्षिण कोरिया के प्रेसिडेंट ली जे-म्यांग, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, और मैक्सिको की नव-निर्वाचित राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम से भी मुलाकात कर विभिन्न वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर सहयोग के नए रास्ते तलाशे।
निष्कर्ष
कनाडा में आयोजित जी7 समिट भारत के लिए सिर्फ एक मंच नहीं, बल्कि वैश्विक नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करने का अवसर रहा। पीएम मोदी की प्रभावशाली कूटनीति और वैश्विक नेताओं से उनकी खुली बातचीत यह संकेत देती है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय नीति निर्धारण का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है।
इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ बढ़ती निकटता, कनाडा के साथ सहयोग की पहल, फ्रांस-जर्मनी के साथ रणनीतिक बातचीत, और ब्रिटेन-साउथ कोरिया जैसे देशों से संवाद – ये सब इस बात का प्रमाण हैं कि भारत एक भरोसेमंद, समावेशी और प्रभावी वैश्विक भागीदार बन चुका है।