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अमेरिका में पाकिस्तान की हुई किरकिरी, बिलावल भुट्टो ने स्वीकारी सच्चाई

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Posted On:Wednesday, June 4, 2025

हाल ही में भारत द्वारा सफलतापूर्वक अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर दोनों पड़ोसी देशों के बीच राजनयिक समीकरणों को नई दिशा दी है। भारत के एक प्रतिनिधिमंडल ने विदेश दौरों के दौरान ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी को व्यापक रूप से उजागर किया, जिससे पाकिस्तान की पोल खुलती नजर आई। वहीं, पाकिस्तान ने भी भारत की चालों की नकल करते हुए अपने एक प्रतिनिधिमंडल को अमेरिका भेजा, जहां वे संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के समक्ष अपनी बातें रख रहे हैं। इस डिप्लोमैटिक टकराव के बीच अमेरिका की धरती पर दोनों देश समानांतर कूटनीतिक सक्रियता दिखा रहे हैं, जो इस क्षेत्र की वर्तमान राजनीतिक संवेदनशीलता को दर्शाता है।


बिलावल भुट्टो की यूएन में किरकिरी

पाकिस्तान के राजनीतिक दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने यूएन मुख्यालय में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भारत पर आरोप लगाए कि भारत में मुस्लिमों को बदनाम किया जा रहा है। हालांकि, उनकी यह कोशिश तब असफल हो गई जब एक विदेशी मुस्लिम पत्रकार ने उन्हें कड़े सवालों के बीच ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की ओर से कर्नल सोफिया कुरैशी द्वारा प्रेस वार्ता में दिए गए तथ्यों के बारे में बताया।

कर्नल सोफिया ने विस्तार से ऑपरेशन की सफलता, उसकी रणनीति और आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प को स्पष्ट किया था। इस पर बिलावल भुट्टो को सिर हिलाकर मानना पड़ा कि भारत ने इस मामले में सच्चाई सामने रखी है। इस संवाद ने पाकिस्तान के तर्कों को कमजोर कर दिया और यूएन के समक्ष उनके दावों को चुनौती मिली।


अमेरिका में भारत-पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल

इस समय अमेरिका में भारत और पाकिस्तान दोनों के डेलिगेशन मौजूद हैं। भारत का प्रतिनिधिमंडल, जिसका नेतृत्व पूर्व केंद्रीय मंत्री और लेखक शशि थरूर कर रहे हैं, अमेरिका पहुंच चुका है। ये प्रतिनिधिमंडल अपनी कूटनीतिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और भारत की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पष्ट कर रहा है।

वहीं, पाकिस्तान का प्रतिनिधिमंडल भी सक्रिय है। बिलावल भुट्टो ने चाइना टेलीविजन को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवाद, कश्मीर विवाद और आतंकवाद के मुद्दों पर बातचीत आवश्यक है। उन्होंने 10 मई को घोषित संघर्षविराम को ‘अस्थायी’ बताते हुए इसे स्थायी बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका पर जोर दिया।


बिलावल का शांति प्रस्ताव और भारत पर आरोप

बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान बातचीत का इच्छुक पक्ष है और कूटनीति के जरिए शांति स्थापित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत शांति प्रक्रिया में बाधा डाल रहा है, जबकि पाकिस्तान बातचीत के लिए तैयार है। बिलावल ने वैश्विक समुदाय से अपील की कि वे संघर्ष विराम को स्थायी बनाने के लिए प्रभावी भूमिका निभाएं।

यह बयान दर्शाता है कि पाकिस्तान अपनी नीतिगत रुख में बदलाव की बात कर रहा है, लेकिन भारत के साथ वास्तविक संवाद के लिए शर्तें भी प्रस्तुत कर रहा है। बिलावल ने यह भी कहा कि यदि दोनों पक्ष बातचीत शुरू कर सकें तो यह क्षेत्रीय शांति के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।


दोनों पक्षों के बीच बातचीत की संभावना

भारत-पाकिस्तान दोनों के प्रतिनिधिमंडलों के एक ही स्थान पर मौजूद होने से बातचीत की संभावनाएं बढ़ी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि फिलहाल शांति वार्ता के लिए आधार तैयार हो रहा है। भारत के प्रतिनिधिमंडल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता को शांति के लिए एक मजबूत सन्देश के रूप में पेश किया है।

दूसरी ओर पाकिस्तान ने बातचीत की इच्छा व्यक्त की है, जो एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि, दोनों देशों के बीच विवादित मुद्दों पर गहरा मतभेद अभी भी बना हुआ है। जल विवाद, कश्मीर, आतंकवाद जैसे जटिल विषय वार्ता के एजेंडा में शामिल हैं और इन पर संतुलित समाधान खोजना चुनौतीपूर्ण रहेगा।


अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका

दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम और बातचीत के प्रयासों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। संयुक्त राष्ट्र सहित वैश्विक शक्तियां शांति प्रक्रिया को प्रोत्साहित कर रही हैं। विशेषकर अमेरिका और चीन जैसे प्रभावशाली देश क्षेत्रीय स्थिरता के लिए कूटनीतिक पहल कर रहे हैं।

यह भी माना जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर जैसी सैन्य सफलताएं और उनके बाद की कूटनीतिक गतिवधियां इस क्षेत्र के राजनीतिक समीकरणों को बदल सकती हैं। इसलिए वैश्विक समुदाय का दवाब और समर्थन दोनों देशों को सार्थक संवाद की ओर प्रेरित कर सकता है।


निष्कर्ष

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारत ने न केवल सैन्य क्षेत्र में बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी बड़ा कदम बढ़ाया है। अमेरिका में दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों की उपस्थिति और सक्रियता इस बात का संकेत है कि शांति और स्थिरता के लिए प्रयास जारी हैं।

बिलावल भुट्टो की यूएन में हुई किरकिरी ने पाकिस्तान की स्थिति को कमजोर किया है, लेकिन साथ ही उनकी बातचीत की इच्छा क्षेत्रीय शांति के लिए एक सकारात्मक पहल है। अब देखने वाली बात यह है कि भारत और पाकिस्तान इस कूटनीतिक संवाद को कितनी सफलता से आगे बढ़ाते हैं और क्या वे विवादित मुद्दों पर स्थायी समाधान तक पहुंच पाते हैं।

इस पूरी प्रक्रिया में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका निर्णायक होगी, क्योंकि क्षेत्रीय शांति न केवल भारत-पाकिस्तान के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए आवश्यक है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर सक्रिय हैं और भविष्य में दोनों देशों के बीच बेहतर संवाद और समझौते की उम्मीद जगी है।


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