अमेरिकी कांग्रेस में उस समय एक तीखी बहस छिड़ गई जब डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद कामलागर-डोव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक संयुक्त तस्वीर दिखाकर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की विदेश नीति पर ज़ोरदार हमला किया। यह तस्वीर हाल ही में पुतिन के भारत दौरे के दौरान दिल्ली में क्लिक की गई थी।
तस्वीर ने बढ़ाई अमेरिकी टेंशन
डेमोक्रेट्स सदस्य कामलागर-डोव ने अमेरिकी संसद में यह तस्वीर पेश करते हुए कहा कि इस फोटो से अमेरिकी सरकार को 'टेंशन में आने की ज़रूरत है।'
डोव का आरोप है कि ट्रंप सरकार की गलत नीतियों और टैरिफ़ पॉलिसी ने भारत जैसे मजबूत गठबंधन सहयोगी को मॉस्को की तरफ धकेल दिया है। उन्होंने कहा, "भारत अमेरिका का मजबूत गठबंधन सहयोगी रहा है, लेकिन ट्रंप की टैरिफ नीति ने भारत को मॉस्को की तरफ धकेल दिया है। पुतिन का हालिया भारत दौरा इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।"
डोव के मुताबिक, यह अकेली तस्वीर—जिसमें पुतिन और मोदी एक ही कार में बैठे हैं— हजार शब्दों के बराबर है और यह अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका है।
🇮🇳 प्रोटोकॉल तोड़कर स्वागत
यह तस्वीर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 4-5 दिसंबर को हुए भारत दौरे के दौरान की है।
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स्वागत: 4 दिसंबर को जब पुतिन का विमान पालम एयरपोर्ट पहुंचा, तो प्रधानमंत्री मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़ते हुए खुद उन्हें लेने एयरपोर्ट गए।
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तस्वीर: पालम से जब नरेंद्र मोदी और व्लादिमीर पुतिन पीएम आवास (7 लोक कल्याण मार्ग) आ रहे थे, तभी कार में दोनों ने एक साथ यह तस्वीर खिंचवाई थी, जो अब अमेरिकी संसद में बहस का विषय बन गई है।
नोबेल अभियान और टैरिफ नीति पर तंज
कामलागर डोव ने डोनाल्ड ट्रंप के कथित नोबेल शांति पुरस्कार अभियान पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, "आप हमारे दोस्तों को दुश्मनों के पाले में धकेलकर नोबेल शांति पुरस्कार नहीं जीत सकते हैं।"
डोव ने ट्रंप से तुरंत अपनी विदेश नीति बदलने की अपील की। उन्होंने सख्त चेतावनी देते हुए कहा, "अगर ट्रंप अपना रुख नहीं बदलते हैं, तो उन्हें भारत को खोने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में याद किया जाएगा।"
मध्य एशिया पर हो रही इस बहस में अन्य डेमोक्रेटिक सांसदों ने भी ट्रंप सरकार की खिंचाई की। एक सांसद ने आरोप लगाया कि ट्रंप सरकार ने चीन से भी ज्यादा टैरिफ भारत पर लाद दिए हैं, जिससे भारत जैसा पारंपरिक सहयोगी भी अमेरिका से दूर जा रहा है। सांसदों ने सवाल उठाया कि सरकार की विदेश नीति किस दिशा में बढ़ रही है, यह समझना मुश्किल हो गया है।
यह घटना दर्शाती है कि भारत और रूस की बढ़ती निकटता को अमेरिका में न केवल एक रणनीतिक चिंता के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि इसे ट्रंप प्रशासन की नीतियों की विफलता के तौर पर भी पेश किया जा रहा है