मुंबई, 08 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि नेताओं को मोटी चमड़ी का होना चाहिए और राजनीति की लड़ाइयों को अदालत में नहीं लाना चाहिए। यह टिप्पणी तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ दायर याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान आई। दरअसल, 2024 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान रेड्डी ने कहा था कि अगर भाजपा 400 सीटें जीतती है तो आरक्षण खत्म कर देगी। इस बयान के बाद तेलंगाना भाजपा महासचिव वेंकटेश्वरलू ने दावा किया कि इससे पार्टी को नुकसान हुआ और उन्होंने रेड्डी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया।
तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस याचिका को पहले ही खारिज कर दिया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। लेकिन सीजेआई बीआर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने भी याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसे राजनीतिक मामलों को अदालत में खींचना उचित नहीं है। इससे पहले हैदराबाद की ट्रायल कोर्ट ने अगस्त 2023 में आदेश दिया था कि रेड्डी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत मानहानि और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 125 के तहत केस बनता है। यह धारा चुनावों में समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने से जुड़ी है। रेड्डी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी और तर्क दिया कि राजनीतिक भाषणों को मानहानि का आधार नहीं बनाया जा सकता।
रेवंत रेड्डी पर पहले भी विवाद उठ चुका है। भाजपा नेताओं ने उन पर बिहारियों के डीएनए को मजदूर बताकर अपमान करने का आरोप लगाया था और इसके बाद उनके बिहार आने का विरोध भी किया गया था। वहीं, 2024 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने “अबकी बार 400 पार” का नारा दिया था, लेकिन पार्टी 240 सीटों पर सिमट गई और पूर्ण बहुमत से पीछे रह गई। इसके बावजूद भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और नरेंद्र मोदी गठबंधन की मदद से तीसरी बार प्रधानमंत्री बने।