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सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने केंद्र पर लगाया लद्दाख पुलिस के दुरुपयोग का आरोप, जानिए पूरा मामला

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Posted On:Thursday, October 2, 2025

मुंबई, 02 अक्टूबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। लद्दाख में जारी तनाव के बीच सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि अंगमो ने केंद्र सरकार की आलोचना की है। उन्होंने मौजूदा हालात की तुलना ब्रिटिश शासनकाल से करते हुए कहा कि गृह मंत्रालय लद्दाख पुलिस का दुरुपयोग कर रहा है। अंगमो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि क्या भारत सचमुच आजाद है? 1857 में 24,000 अंग्रेजों ने महारानी के आदेश पर 135,000 भारतीय सिपाहियों का इस्तेमाल करके 300 मिलियन भारतीयों पर अत्याचार किया था। आज गृह मंत्रालय के आदेश पर एक दर्जन प्रशासक 2400 लद्दाखी पुलिसकर्मियों के जरिए 3 लाख लद्दाखियों पर अत्याचार कर रहे हैं।

सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को उस समय गिरफ्तार किया गया था जब लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर प्रदर्शन हिंसक हो गया था। उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत आरोप लगाए गए और उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल भेजा गया। 24 सितंबर के प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद से लेह में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं लगातार नौ दिनों से बंद हैं। प्रशासन ने हिंसा की मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया है और चार हफ्तों में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। हिंसा के बाद 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से 26 को अंतरिम जमानत मिल चुकी है, जबकि कई अब भी जेल में हैं।

गीतांजलि अंगमो ने 1 अक्टूबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर पति की रिहाई की मांग की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति एक आदिवासी होने के नाते लद्दाख के लोगों की भावनाओं को समझ सकती हैं। यह पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी भेजा गया है। अंगमो ने कहा कि सोनम वांगचुक जलवायु परिवर्तन और आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिए काम करने वाले गांधीवादी आंदोलनकारी हैं, इसलिए उनकी बिना शर्त रिहाई होनी चाहिए।

उन्होंने वांगचुक पर पाकिस्तान से जुड़े होने के आरोपों को खारिज किया और कहा कि उनके पति हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करते रहे हैं। अंगमो ने दावा किया कि 24 सितंबर की हिंसा के लिए सीआरपीएफ जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान यात्राएं केवल जलवायु परिवर्तन से जुड़े संयुक्त राष्ट्र सम्मेलनों में भाग लेने के लिए थीं। उनके अनुसार, हिमालय के ग्लेशियर का पानी न भारत देखता है न पाकिस्तान, बल्कि यह पूरी मानवता की साझा धरोहर है।


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