मुंबई, 03 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि आज के समय में यूट्यूब पर झूठी और आपत्तिजनक बातें इतनी तेजी से फैल रही हैं कि सिर्फ मानहानि का कानून इन्हें रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है। अदालत ने टिप्पणी की कि लोग खुलेआम किसी को भी बदनाम कर रहे हैं और उनकी निजी जिंदगी में हस्तक्षेप कर रहे हैं। ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए सरकार को ठोस नीति बनाने की जरूरत है। यह टिप्पणी अदालत ने कन्नड़ प्रभा के एडिटर-इन-चीफ रवि हेगडे की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। हेगडे ने मंत्री केजे जॉर्ज द्वारा दर्ज कराए गए मानहानि केस को रद्द करने की मांग की थी। जॉर्ज ने 2020 में उन पर झूठे तथ्य प्रकाशित करने और उन्हें यूट्यूब पर प्रसारित करने का आरोप लगाया था।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि अगर अखबार किसी प्रमुख स्थान पर यह स्पष्ट करते हुए डिस्क्लेमर प्रकाशित कर दे कि खबर केवल किसी अन्य व्यक्ति के बयान पर आधारित थी और इससे किसी को ठेस पहुंची है तो खेद है, तो मामला निपट सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि दोनों पक्ष आपसी सहमति से समाधान निकालने की कोशिश करें, अन्यथा केस को दोबारा मध्यस्थता में भेजा जाएगा। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि पहले हुई मध्यस्थता में अखबार की ओर से फ्रंट पेज पर माफी और इंटरव्यू प्रकाशित करने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन मंत्री ने इसे स्वीकार नहीं किया था। इससे पहले 21 सितंबर की सुनवाई में भी अदालत ने मीडिया की जिम्मेदारी पर कड़ा रुख दिखाते हुए पूछा था कि क्या अखबार ने मंत्री पर लगाए गए आरोपों की जांच की थी या उनका पक्ष लिया गया था, और क्या खबर में डिस्क्लेमर जोड़ा गया था। अदालत ने कहा था कि मीडिया पर जनता का भरोसा है, ऐसे में तथ्यों की पुष्टि किए बिना आरोप प्रकाशित करना गलत है।