भारत के विभिन्न राज्यों में जून के आगमन के साथ ही मौसम में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, मणिपुर, इंफाल समेत पूर्वोत्तर राज्यों में अब प्री-मानसूनी गतिविधियां सक्रिय हो गई हैं। कई इलाकों में हल्की बारिश, तेज हवाएं और आंधी-तूफान की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे मौसम में अचानक बदलाव और स्थानीय स्तर पर परेशानी भी देखी जा रही है। मौसम विभाग ने भी पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश की संभावना जताई है, जिसके कारण वहां के निवासियों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में प्री-मानसूनी गतिविधियां
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इस समय देश के कई हिस्सों में मानसून के पूर्व की बारिश शुरू हो चुकी है। मध्य प्रदेश के 27 जिलों में लगातार बारिश का दौर जारी है और यहां अगले चार दिनों तक इसी प्रकार का मौसम बना रहने का अनुमान है। मालवा, निमाड़, सागर, भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर-चंबल संभाग और विंध्य क्षेत्र में बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। लगातार बूंदाबांदी से इन इलाकों में तापमान में गिरावट भी देखी गई है, जिससे मौसम सुहावना बना हुआ है।
बिहार, हिमाचल प्रदेश, असम और मेघालय में आज खराब मौसम के चलते ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। कर्नाटक और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी बारिश की संभावना है। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तरी राजस्थान, पूर्वी उत्तर प्रदेश, दक्षिण बिहार, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, विदर्भ, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के दक्षिणी इलाकों में भी आज मध्यम से तेज बारिश के आसार हैं। इसके साथ ही, कुछ इलाकों में ओलावृष्टि की भी संभावना जताई गई है, जो किसानों के लिए खुशी की बात है लेकिन सामान्य जनजीवन में परेशानी भी ला सकती है।
पूर्वोत्तर में बाढ़ और प्राकृतिक आपदाएं
पूर्वोत्तर भारत में मानसून के आगमन से पहले ही भारी बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएं देखने को मिल रही हैं। असम के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। बाटग्राम के एक ग्रामीण ने बताया कि उनका घर जलमग्न हो गया है और पिछले 3-4 दिनों से वे सड़क पर रह रहे हैं। श्रीभूमि जिले में बाढ़ से कई घर और व्यवसायिक प्रतिष्ठान डूब गए हैं, जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ है। मोरीगांव जिले के 101 गांव बाढ़ की चपेट में हैं।
असम में बाढ़ और भूस्खलन के कारण अब तक 14 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 5 अन्य लोगों की जान भूस्खलन की घटनाओं में गई है। इससे क्षेत्र में राहत और बचाव कार्यों को तेजी से अंजाम दिया जा रहा है। सिक्किम के चाटन में फंसे पर्यटकों को निकालने के लिए सेना ने भी हेलीकॉप्टर अभियान शुरू किया है, जिससे 39 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। सरकार ने पर्यटकों के लिए सिलीगुड़ी तक बस सेवा भी शुरू की है, ताकि प्रभावित लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके।
मानसून की तैयारियां और आगामी मौसम का पूर्वानुमान
मौसम विभाग ने पूरे देश में मानसून की सक्रियता को लेकर व्यापक सतर्कता बरती है। वर्तमान में प्री-मानसूनी गतिविधियां बढ़ने से मानसून के जल्दी सक्रिय होने की उम्मीद जताई जा रही है। साथ ही, मौसम विशेषज्ञों ने इस बात पर भी जोर दिया है कि लोगों को अचानक आई बारिश और तूफान के लिए तैयार रहना चाहिए।
मौसम विभाग ने केंद्र और राज्य सरकारों को अलर्ट जारी करते हुए आवश्यक तैयारियां करने को कहा है। कई राज्यों में स्वास्थ्य, कृषि और आपदा प्रबंधन विभाग की बैठकें हो रही हैं ताकि बारिश के कारण हो सकने वाली आपदाओं से निपटने के लिए प्रभावी रणनीतियां बनाई जा सकें।
किसानों और आम जनता के लिए मौसम का महत्व
बारिश की शुरुआत किसानों के लिए राहत लेकर आई है क्योंकि खेतों को सिंचाई की जरूरत खत्म होगी और फसलें बेहतर होंगी। हालांकि, तेज बारिश और बाढ़ से फसलों को नुकसान का भी खतरा रहता है, खासकर पूर्वोत्तर और मध्य प्रदेश जैसे इलाकों में। इस कारण किसानों को मौसम की जानकारी पर नजर बनाए रखनी चाहिए और जरूरी सावधानियां बरतनी चाहिए।
सामान्य जनता के लिए भी यह समय सतर्कता का है। तेज हवाओं और आंधी के कारण पेड़ गिर सकते हैं, बिजली के तार टूट सकते हैं और आवागमन बाधित हो सकता है। इसलिए स्थानीय प्रशासन ने भी जनता को सतर्क रहने और मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए अलर्ट का पालन करने की अपील की है।
निष्कर्ष
भारत के कई राज्यों में प्री-मानसूनी गतिविधियों का बढ़ना मानसून की शुरुआत का संकेत है। देश के अलग-अलग हिस्सों में हल्की-तीव्र बारिश, आंधी-तूफान, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जो मानसून के आने की तैयारी को दर्शाती हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है और वहां राहत कार्यों को तेजी से अंजाम दिया जा रहा है।
मौसम विभाग और सरकार की सतर्कता और आपदा प्रबंधन कार्यों के कारण जनहानि को कम से कम करने की कोशिश की जा रही है। आम जनता और किसानों को भी मौसम अपडेट पर ध्यान देना होगा और मौसम विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करना होगा। इस प्रकार, देशभर के लोग मिलकर प्री-मानसूनी और मानसूनी मौसम का सामना कर सकेंगे और अपने जीवन तथा कृषि को सुरक्षित रख सकेंगे।