भारतीय चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने कई राज्यों में SIR (Self-Initiated Registration) फॉर्म भरने की अंतिम तारीख बढ़ा दी है। हालाँकि, पश्चिम बंगाल, गोवा, पुडुचेरी, लक्षद्वीप और राजस्थान में यह तारीख गुरुवार को ही समाप्त हो गई है, और इन राज्यों में ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल 16 दिसंबर को प्रकाशित किए जाएँगे।
इसी बीच, पश्चिम बंगाल से भरे गए SIR फॉर्म को लेकर एक बड़ी और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। चुनाव आयोग के अनुसार, राज्य में करीब 1 करोड़ 67 लाख 45 हजार 911 फॉर्म में गंभीर गड़बड़ी पाई गई है। चुनाव आयोग को वोटर्स द्वारा दी गई जानकारी पर संदेह है, जिसके चलते इन मतदाताओं को सत्यापन (Verification) और सुनवाई (Hearing) के लिए बुलाया जा सकता है।
आँकड़ों में सामने आईं गंभीर विसंगतियाँ
चुनाव आयोग की ओर से मिले आँकड़ों के अनुसार, वोटर लिस्ट की जानकारी में कई गंभीर और अविश्वसनीय विसंगतियाँ सामने आई हैं:
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पिता के नाम में गड़बड़ी: करीब 85 लाख वोटर्स के पिताओं के नाम में गड़बड़ी सामने आई है।
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माता-पिता के नाम समान: करीब 13.5 लाख वोटर्स के मामले में 'पिता' और 'माता' के तौर पर एक ही व्यक्ति का नाम दर्ज है। यह स्पष्ट करता है कि किसी परिवार में माँ की जगह पिता का नाम या इसके विपरीत दर्ज किया गया है।
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अविश्वसनीय आयु विसंगतियाँ:
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11 लाख 95 हजार वोटर्स ऐसे हैं जिनके बेटे उनके पिता से केवल 15 साल छोटे हैं (यानी, वे 15 साल की उम्र से पहले पिता बन गए)।
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करीब 3 लाख 29 हजार 152 वोटर्स ऐसे हैं जो 40 साल की उम्र से पहले ही 'दादा' बन गए हैं।
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राज्य में 6 बच्चों के पिताओं की संख्या 24 लाख 21 हजार दर्ज की गई है।
चुनाव आयोग को इन मतदाताओं की जानकारी, विशेष रूप से उनकी उम्र और पारिवारिक संबंध को लेकर गहरा संदेह है।
वोटर्स को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा
चुनाव आयोग के अनुसार, इन 1 करोड़ 67 लाख से अधिक वोटर्स में से कुछ को, जिनके नाम और उम्र जैसी जानकारी गलत हैं, उन्हें हियरिंग (Hearing) के लिए बुलाया जा सकता है।
कमीशन के सूत्रों के मुताबिक, इन सभी वोटर्स की जानकारी फिर से सत्यापित (Re-verify) की जाएगी। बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर जानकारी का सत्यापन करेंगे और उसके बाद इन संदिग्ध वोटर्स को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। इस प्रक्रिया में रोल ऑब्जर्वर की भूमिका भी बहुत अहम होगी।
बंगाल में SIR पर राजनीतिक घमासान
इस मामले पर राजनीतिक दलों के बीच घमासान शुरू हो गया है:
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बीजेपी का आरोप: बीजेपी प्रवक्ता देबजीत सरकार ने कहा कि यह पूरी बात 'फर्जी' (Fake) है। उन्होंने आरोप लगाया कि "लेफ्ट और फिर तृणमूल ने चुनाव जीतने के लिए आम लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिश की है। उन्होंने असली वोटर्स को वोट नहीं देने दिया... जो लोग पिछले 15 सालों में पिता बने हैं, वे असल में घोस्ट वोटर (Ghost Voter) बन गए हैं और इन लोगों को जिताया है।"
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तृणमूल का जवाब: तृणमूल प्रवक्ता तन्मय घोष ने जवाब दिया कि "जहाँ पिता के नाम में गलती है, जहाँ कई मामलों में पिता का नाम एक ही है, इन सबकी जाँच करना इलेक्शन कमीशन का काम है। यह पूरे साल से हो रहा है। अगर ऐसी कोई जानकारी सामने आई है, तो उसे हटा दिया जाएगा।"
इस बड़ी गड़बड़ी के सामने आने के बाद, पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में पारदर्शिता और शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग की कार्रवाई महत्वपूर्ण हो गई है।