12 जून 2025 को भारत के इतिहास में एक काले दिन के रूप में दर्ज हो गया, जब एअर इंडिया की फ्लाइट नंबर 171 अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दिल दहला देने वाले हादसे में विमान में सवार 241 लोगों की मौत हो गई, जिनमें पायलट, क्रू मेंबर और यात्री शामिल थे। लेकिन चमत्कारिक रूप से एक व्यक्ति, विश्वास कुमार रमेश, इस भयानक मंजर में जीवित बच निकला। हादसे के तुरंत बाद इमरजेंसी टीमें मौके पर पहुंच गईं और बचाव कार्य शुरू हुआ।
15 जून को अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की एंट्री
जहां एक ओर देश में इस दुर्घटना को लेकर शोक की लहर दौड़ गई, वहीं 15 जून को कुछ ऐसा हुआ, जिसने लोगों को चौंका दिया। अमेरिका की दो बड़ी जांच एजेंसियां—नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) और फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA)—के साथ-साथ यूनाइटेड किंगडम की सिविल एविएशन अथॉरिटी (CAA) अहमदाबाद पहुंचीं। इन एजेंसियों की मौजूदगी ने लोगों के मन में सवाल खड़ा कर दिया कि भारत में हुए हादसे की जांच में विदेशी एजेंसियां क्यों शामिल हो रही हैं? क्या भारत की अपनी एजेंसियां इस जांच के लिए सक्षम नहीं हैं?
शिकागो कन्वेंशन: हवाई सुरक्षा का आधार
इसका जवाब मिलता है साल 1944 के एक ऐतिहासिक समझौते से। जब द्वितीय विश्व युद्ध अपने अंतिम चरण में था, तब दुनिया के 52 देशों ने मिलकर शिकागो कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए। इसका उद्देश्य वैश्विक नागरिक उड्डयन को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाना था। आज 193 देश इस समझौते के सदस्य हैं, जिनमें भारत, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल हैं।
शिकागो कन्वेंशन का एनेक्स 13 विशेष रूप से विमान दुर्घटनाओं की जांच से संबंधित है। इसका उद्देश्य किसी को दोषी ठहराना नहीं, बल्कि दुर्घटना के कारणों की निष्पक्ष और तकनीकी जांच कर भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचना है।
कौन-कौन हो सकता है जांच में शामिल?
एनेक्स 13 के तहत निम्नलिखित देश विमान हादसे की जांच में शामिल हो सकते हैं:
1. स्टेट ऑफ ऑक्युरेंस (जहां हादसा हुआ)
इस मामले में हादसा भारत के अहमदाबाद में हुआ, इसलिए भारत इस जांच की अगुवाई कर रहा है। एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) इसके लिए जिम्मेदार है।
2. स्टेट ऑफ रजिस्ट्री और ऑपरेटर
विमान एयर इंडिया का था और इसका रजिस्ट्रेशन भारत में ‘VT’ कोड के साथ था। यानी स्टेट ऑफ रजिस्ट्री और ऑपरेटर दोनों ही भारत है।
3. स्टेट ऑफ डिजाइन और मैन्युफैक्चर
यह विमान बोइंग द्वारा डिजाइन और अमेरिका में ही निर्मित किया गया था। इसके इंजन जनरल इलेक्ट्रिक ने बनाए थे, जो एक अमेरिकी कंपनी है। इसलिए अमेरिका को भी इस जांच में शामिल होने का अधिकार है। इसी वजह से NTSB और FAA अहमदाबाद पहुंचे।
4. पीड़ितों के नागरिकता वाले देश
इस हादसे में 53 ब्रिटिश नागरिकों की मौत हुई थी। इसलिए यूनाइटेड किंगडम की CAA को भी जांच में शामिल किया गया है, ताकि उनके देश को पारदर्शिता और निष्पक्ष जानकारी मिल सके।
जांच में क्या होता है?
विदेशी एजेंसियों को जांच में हिस्सा लेने के अधिकार दिए गए हैं, जैसे:
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क्रैश साइट पर पहुंचकर मलबे की जांच
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ब्लैक बॉक्स और डेटा रिकॉर्डर का विश्लेषण
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इंजन, सॉफ्टवेयर, नेविगेशन सिस्टम और ऑटोमेशन में तकनीकी गड़बड़ी की जांच
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अंतिम रिपोर्ट पर सुझाव देना
उदाहरण के लिए, अगर बोइंग के किसी तकनीकी डिजाइन में कमी पाई जाती है, तो कंपनी को इसकी जानकारी दी जाती है ताकि वह उस मॉडल के सभी विमानों में सुधार कर सके।
क्यों जरूरी है विदेशी एजेंसियों की भागीदारी?
यह सवाल लाजमी है कि विदेशी एजेंसियों की मौजूदगी क्या भारत की क्षमता पर सवाल खड़ा करती है? इसका उत्तर है – नहीं। दरअसल, आधुनिक विमानन प्रणाली पूरी तरह से वैश्विक सहयोग पर आधारित है। किसी विमान का एक पार्ट जर्मनी में बना होता है, इंजन अमेरिका में, और उसका असेंबलिंग भारत में होता है। ऐसे में, किसी भी गड़बड़ी की पहचान के लिए ग्लोबल एक्सपर्टीज़ और सपोर्ट जरूरी है।
NTSB और FAA जैसी एजेंसियां दुनिया की सबसे अनुभवी जांच एजेंसियां हैं। उन्होंने सैकड़ों हादसों की जांच की है और उनके पास ऐसी तकनीक और विश्लेषणात्मक क्षमता है जो किसी भी देश की जांच को सटीक और तेज बना सकती है।
निष्कर्ष
एअर इंडिया फ्लाइट 171 हादसा न केवल एक मानवीय त्रासदी है, बल्कि एक वैश्विक चेतावनी भी है कि सुरक्षा में कोई चूक नहीं होनी चाहिए। भारत की जांच एजेंसियां इस मामले में पूरी जिम्मेदारी से कार्य कर रही हैं, और विदेशी एजेंसियों की भागीदारी इस प्रक्रिया को और पारदर्शी, निष्पक्ष तथा तकनीकी रूप से मजबूत बना रही है। यह ग्लोबल विमानन इंडस्ट्री के सहयोग और विश्वास का प्रतीक है। अंततः इसका उद्देश्य सिर्फ यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में ऐसी कोई त्रासदी दोबारा न हो।