इथियोपिया में 10,000 साल की लंबी निष्क्रियता के बाद फटे हेली गुब्बी ज्वालामुखी से निकली राख ने भारतीय हवाई क्षेत्र और मौसम के लिए एक गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। रविवार, 23 नवंबर, 2025 की सुबह हुए इस भीषण विस्फोट से करीब 9 मील (लगभग 14.5 किलोमीटर) ऊँचा राख का बादल उठा, जिसने लाल सागर को पार करते हुए यमन और ओमान के रास्ते अब भारत के आसमान को अपनी चपेट में ले लिया है। बीती रात ज्वालामुखी के ये बादल पश्चिमी भारत से होते हुए उत्तर भारत में प्रवेश कर चुके हैं, जिससे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। हिमाचल प्रदेश सहित तीनों पहाड़ी राज्यों में भी राख के बादलों का असर देखने को मिल सकता है।
DGCA की एडवाइजरी, उड़ानों पर खतरा
हालातों की गंभीरता को देखते हुए, डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने सभी एयरलाइंस के लिए एक उच्च-स्तरीय एडवाइजरी जारी की है। DGCA ने चेतावनी दी है कि दिल्ली पहुँचने के बाद राख का यह सघन बादल हवा की क्वालिटी और मौसम को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। एयरलाइंस को खास तौर पर राख की ऊँचाई (15,000 से 45,000 फीट) वाले क्षेत्रों में उड़ान भरने से बचने का निर्देश दिया गया है, क्योंकि ज्वालामुखी की राख में मौजूद सल्फर-डाई-ऑक्साइड, कांच और चट्टानों के टुकड़े विमान के इंजन और उड़ान सुरक्षा के लिए अत्यधिक खतरनाक होते हैं।
एडवाइजरी में सभी एयरलाइन कंपनियों से अपने पायलटों और क्रू मेंबर्स को हर पल सतर्क रहने का आदेश देने को कहा गया है। किसी भी दुर्गंध या राख के दृश्य की सूचना तुरंत देने और उसी समय फ्लाइट को नीचे सुरक्षित ऊँचाई पर लाने का निर्देश दिया गया है।
फ्लाइट्स रद्द, अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर असर
राख के बादलों के कारण हवाई यात्रा बुरी तरह प्रभावित हुई है। ऐहतियात के तौर पर, KLM रॉयल डच एयरलाइंस ने एम्स्टर्डम से दिल्ली आने वाली अपनी फ्लाइट केएल 871 और वापस जाने वाली फ्लाइट केएल 872 को रद्द कर दिया है। एयरलाइंस को यह छूट दी गई है कि यदि राख के कारण खतरा अधिक हो, तो वे प्रभावित रास्ते की उड़ानें रद्द कर सकते हैं या आस-पास के सुरक्षित एयरपोर्ट पर लैंडिंग कर सकते हैं। मध्य पूर्व के देशों से आने वाले यात्रियों को भी चेतावनी जारी की गई है कि स्थिति बिगड़ने पर उनकी उड़ानें भी रद्द हो सकती हैं।
130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़े बादल
मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, ज्वालामुखी की राख रात करीब 11 बजे दिल्ली पहुँची। ये राख के बादल लाल सागर को पार करते हुए लगभग 130 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज रफ्तार से भारत की ओर बढ़े। राख के बादलों की सघनता और विस्तार 15,000 फीट से लेकर 45,000 फीट की ऊँचाई तक फैला हुआ है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इस राख के कारण आसमान सामान्य से ज्यादा काला और धुंधला दिखाई देगा, जिससे विजिबिलिटी बेहद कम हो जाएगी और आसमान में उड़ रही किसी भी चीज को देखना मुश्किल हो जाएगा।
इथियोपिया के उत्तर-पूर्वी अफार क्षेत्र में स्थित हेली गुब्बी ज्वालामुखी का विस्फोट भू-वैज्ञानिकों के लिए भी आश्चर्यजनक है। यह ज्वालामुखी एरिट्रिया की सीमा के पास दानाकिल डिप्रेशन में है, जो वह क्षेत्र है जहाँ तीन टेक्टोनिक प्लेट्स आपस में मिलती हैं। विस्फोट के बाद, ज्वालामुखी की तलहटी में बसा अफदेरा गाँव राख की मोटी परत के नीचे पूरी तरह से तबाह हो गया है, जिससे क्षेत्र में व्यापक विनाश हुआ है। भारत में ज्वालामुखी राख का यह असर कब तक रहेगा, इस पर अभी अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन DGCA और मौसम विभाग लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।