हांगकांग में आयोजित AVPN ग्लोबल कॉन्फ्रेंस में अडाणी फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. प्रीति अडाणी ने अपनी प्रेरक जीवन यात्रा और समाज सेवा के अनुभव साझा कर सभी को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने न केवल परिवर्तन की असल कहानियां सुनाईं, बल्कि एक नई सोच और जिम्मेदारी के बीज भी बोए।
उम्मीद की शुरुआत एक बीज से
डॉ. अडाणी ने अपने भाषण की शुरुआत एक गहरी और भावनात्मक कहानी से की। यह कहानी गुजरात के कच्छ के रेगिस्तान में एक महिला की थी, जो तपते सूरज में सूखी ज़मीन में बीज बो रही थी। जब प्रीति ने पूछा, "इस सूखी ज़मीन में बीज क्यों बो रही हो?" तो महिला ने उत्तर दिया, "क्योंकि एक दिन बारिश ज़रूर आएगी, और अगर बीज नहीं बोए गए, तो बारिश क्या जगाएगी?" यह जवाब डॉ. अडाणी के जीवन का मोड़ बन गया। उन्होंने इसे AVPN मंच पर एक मूवमेंट के रूप में प्रस्तुत किया, जिसमें परोपकारी, कारोबारी और बदलाव लाने वाले लोग एक साथ मिलकर समाज को बेहतर बना सकते हैं।
पति के सपनों से मिला जीवन को नया लक्ष्य
20 वर्ष की उम्र में डॉ. अडाणी एक डेंटिस्ट बनी थीं और अहमदाबाद में सफल करियर का सपना देख रही थीं। लेकिन शादी के बाद उनके पति गौतम अडाणी के विचारों ने उनका दृष्टिकोण बदल दिया। गौतम अडाणी का मानना था कि असली राष्ट्र निर्माण केवल इमारतों से नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका को सशक्त करने से होता है। इसी विचार से प्रेरित होकर प्रीति अडाणी ने अपने करियर को पीछे छोड़ते हुए 1996 में अडाणी फाउंडेशन की शुरुआत की। आज यह फाउंडेशन 7 बिलियन डॉलर के दान की प्रतिबद्धता के साथ लाखों लोगों की जिंदगी बदल रहा है।
बदलाव की असल कहानियां
कॉन्फ्रेंस में डॉ. अडाणी ने तीन रियल लाइफ स्टोरीज साझा कीं, जो उनके काम का वास्तविक प्रभाव दिखाती हैं:
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वंश – गुजरात के आदिवासी क्षेत्र का एक बच्चा, जो कुपोषित था। अडाणी फाउंडेशन की ‘सुपोषण संगिनी’ की मदद से अब वह स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी रहा है।
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रेखा बिसेन – महाराष्ट्र की एक विधवा महिला, जिसने फाउंडेशन की मदद से न केवल अपने बच्चों को संभाला, बल्कि गांव में दूध चिलिंग सेंटर चलाकर 130 महिलाओं को भी प्रेरित किया।
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सोनल गढ़वी – कच्छ की एक गरीब लड़की, जो अडाणी पब्लिक स्कूल से पढ़कर आयरलैंड गई, मास्टर्स किया और अब Apple में कार्यरत है।
बदलाव के लिए तीन महत्वपूर्ण संदेश
डॉ. अडाणी ने तीन गहन विचार साझा किए, जो भविष्य की सामाजिक दिशा तय कर सकते हैं:
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सिर्फ दान नहीं, सह-निर्माण करें – कंपनियां, सरकार, समुदाय और दानदाता मिलकर प्रभावी समाधान दें।
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लाभार्थी को गुणक बनाएं – एक सशक्त महिला या शिक्षित बच्चा कई लोगों की जिंदगी बदल सकता है।
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स्किल्स के साथ वैल्यूज़ जोड़ें – तकनीकी कौशल के साथ नैतिक मूल्य और उद्देश्य की शिक्षा भी ज़रूरी है।
बेहतर कल का विश्वास
अपने प्रेरणादायक समापन में डॉ. अडाणी ने कहा:
"हमें वो पीढ़ी बनना है जो सूखे में बीज बोए, बारिश से पहले भरोसा रखे और समाज में सम्मान व अवसर की फसल तैयार करे।"
उन्होंने AVPN और सभी सहयोगियों के साथ मिलकर एकजुट होकर आगे बढ़ने का वादा किया।
यह भाषण सिर्फ शब्दों का नहीं, बल्कि एक विचारशील और संवेदनशील नेतृत्व का उदाहरण था, जो यह बताता है कि जब उम्मीद, मेहनत और संकल्प एक साथ आते हैं, तो समाज में असली बदलाव लाया जा सकता है।