शुक्रवार को यूरोपीय लग्जरी बाजार में एक बड़ा झटका तब देखने को मिला जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से उच्च आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का ऐलान कर दिया। ट्रंप ने कहा है कि वह 1 जून से यूरोपीय संघ से आने वाले सामानों पर सीधे 50 फीसदी टैरिफ लगाने की सिफारिश कर रहे हैं। इस बयान के बाद यूरोप के बड़े-बड़े लग्जरी ब्रांड्स के शेयरों में 3 से 4 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई।
क्यों है अमेरिका महत्वपूर्ण बाजार?
यूरोपीय लग्जरी उत्पादों का सबसे बड़ा उपभोक्ता अमेरिका है। महंगे हैंडबैग, शूज, फैशन एक्सेसरीज, वॉचेज़ और शैंपेन जैसे आइटम्स पर आधारित यह इंडस्ट्री अमेरिकी बाजार पर गहराई से निर्भर है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस क्षेत्र के बड़े ब्रांड्स अपने कुल उत्पादों का लगभग एक चौथाई हिस्सा अमेरिका को निर्यात करते हैं। छोटे ब्रांड्स भी इस विशाल उपभोक्ता बाजार पर निर्भर हैं।
2025 में चीन में मांग कमजोर होने के कारण अमेरिकी उपभोक्ता इस साल की ग्रोथ का मुख्य स्रोत माने जा रहे थे। ऐसे में ट्रंप का यह कदम पूरे सेक्टर के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
क्या हैं टैरिफ के पीछे ट्रंप की मंशा?
डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से "अमेरिका फर्स्ट" नीति के तहत आयातित सामानों पर भारी टैरिफ लगाने के पक्षधर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और विदेशों पर निर्भरता कम होगी। यूरोपीय ब्रांड्स पर 50% टैरिफ लगाने की सिफारिश उसी नीति का हिस्सा है, जिससे अमेरिकी उत्पादन को प्रोत्साहन देने की कोशिश की जा रही है।
उद्योग को क्यों हो रही है चिंता?
इस घोषणा के बाद लग्जरी ब्रांड्स के लिए तीन बड़ी चुनौतियाँ सामने आ गई हैं:
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अमेरिकी बाजार से दूर होने का खतरा – अगर टैरिफ बढ़ते हैं, तो यूरोपीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे, जिससे इनकी बिक्री प्रभावित होगी।
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स्थानीय उत्पादन की सीमाएं – ज़्यादातर यूरोपीय कंपनियों के पास अमेरिका में उत्पादन शुरू करने की सीमित क्षमता है। LVMH के लुई वुइटन (Louis Vuitton) जैसे कुछ ही ब्रांड्स हैं जो अमेरिका में सीमित पैमाने पर उत्पादन कर रहे हैं।
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कीमत में हेरफेर संभव नहीं – विश्लेषकों के अनुसार, सामान की कीमतों में बदलाव करके कुछ हद तक टैरिफ का असर कम किया जा सकता है, लेकिन यह विकल्प सभी ब्रांड्स के लिए मुमकिन नहीं है।
ट्रंप के ऐलान के बाद शेयर बाजार में क्या हुआ?
जैसे ही ट्रंप ने टैरिफ की बात की, यूरोपीय मार्केट में हलचल मच गई।
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LVMH, Kering, Hermès, Christian Dior जैसे बड़े ब्रांड्स के शेयर 3-4% तक गिर गए।
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केवल यूरोप ही नहीं, अमेरिकी टेक दिग्गज Apple के शेयरों में भी गिरावट आई।
ट्रंप ने iPhone निर्माण को लेकर कहा कि यदि किसी देश में iPhone का निर्माण होता है और उसे अमेरिका में बेचा जाता है, तो उस पर 25% टैरिफ लगाया जा सकता है।
फ्रांस के लिए यह और बड़ा झटका क्यों?
फ्रांस की लग्जरी इंडस्ट्री को दुनिया में सबसे बड़ा माना जाता है। यह उद्योग:
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600,000 से अधिक लोगों को रोजगार देता है।
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हर साल अरबों यूरो का निर्यात करता है।
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पर्यटन, संस्कृति और ब्रांड वैल्यू के लिहाज़ से भी फ्रांस की पहचान बनाता है।
इसलिए, ट्रंप के इस कदम से फ्रांस की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
क्या है आगे का रास्ता?
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनियां अब अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने, कीमतें री-एडजस्ट करने, और ऑनलाइन बिक्री मॉडल को मजबूत करने जैसे उपायों पर विचार कर रही हैं। लेकिन ये सारे समाधान लघु अवधि में बहुत सीमित असर ही दिखा सकते हैं।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप के इस टैरिफ ऐलान ने यूरोपीय लग्जरी बाजार में निराशा और अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है। जहां एक ओर कंपनियां अमेरिकी बाजार में अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश करेंगी, वहीं यह स्पष्ट है कि अगर ये टैरिफ वास्तव में लागू हो जाते हैं, तो लंबे समय में व्यापार मॉडल, मूल्य निर्धारण और वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भारी बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
2025 का साल यूरोपीय फैशन और लग्जरी उद्योग के लिए निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।