अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अब एप्पल ही नहीं, बल्कि सैमसंग और अन्य विदेशी स्मार्टफोन कंपनियों पर भी अतिरिक्त आयात शुल्क (Tariff) लगाया जाएगा। यह फैसला 1 जून 2025 से लागू होगा और इसके तहत दो श्रेणियों में टैरिफ लगाया जाएगा—
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अमेरिका में न बनने वाले स्मार्टफोन्स पर 25% टैरिफ
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यूरोपीय यूनियन से आने वाले सभी स्मार्टफोन व उत्पादों पर 50% टैरिफ
यह घोषणा ऐसे समय पर हुई है जब ट्रंप एक बार फिर से 2024 के चुनावों के बाद पुनः राजनीतिक फोकस में लौट रहे हैं। उन्होंने इस नीति को “न्यायपूर्ण प्रतिस्पर्धा और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जरूरी” बताया।
क्यों लिया गया यह फैसला?
ट्रंप ने ओवल ऑफिस में मीडिया से बात करते हुए साफ कहा कि अगर एप्पल को 25% आयात शुल्क देना पड़ रहा है, तो यह अनुचित होगा कि सैमसंग जैसे ब्रांड जो अमेरिका में मैन्युफैक्चर नहीं करते हैं, टैरिफ से बच जाएं। उन्होंने कहा कि "न्याय की बात हो रही है। प्रतिस्पर्धा निष्पक्ष होनी चाहिए।"
उन्होंने यह भी कहा कि सैमसंग के स्मार्टफोन, जो भारत, वियतनाम और अन्य एशियाई देशों में बनते हैं और अमेरिका में बेचे जाते हैं, उन्हें भी अब अतिरिक्त शुल्क का सामना करना पड़ेगा।
यह निर्णय व्यापार समझौते की कमी और विदेशी कंपनियों द्वारा घरेलू बाजार में दबदबा बनाने को लेकर लिया गया है।
एप्पल पहले से टारगेट में क्यों?
ट्रंप ने पहले भी एप्पल और उसके CEO टिम कुक को चेतावनी दी थी कि यदि वे अमेरिका में निर्माण नहीं करते हैं, तो उन्हें भारी टैरिफ देना होगा।
दोहा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ट्रंप ने टिम कुक से कहा था कि "भारत में उत्पादन अच्छी बात है, लेकिन यदि आप संपूर्ण कारोबार भारत में शिफ्ट कर रहे हैं, तो फिर अमेरिका में बेचना इतना आसान नहीं होगा।"
उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि बिना अमेरिका में निर्माण किए, अब कोई भी स्मार्टफोन अमेरिका में बिना शुल्क के नहीं बिकेगा।
टैरिफ नीति का दायरा कितना बड़ा है?
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1 जून 2025 से लागू होगी नई टैरिफ नीति।
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यूरोपीय यूनियन (EU) से आने वाले सभी उत्पादों पर 50% टैरिफ।
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अमेरिका में न बनने वाले स्मार्टफोन (जैसे सैमसंग, शाओमी, ओप्पो, वीवो) पर 25% टैरिफ।
इससे एक बात स्पष्ट है कि ट्रंप केवल एप्पल या सैमसंग ही नहीं, बल्कि पूरे ग्लोबल स्मार्टफोन मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम को चुनौती दे रहे हैं।
इसका वैश्विक व्यापार पर क्या असर होगा?
ट्रंप की इस घोषणा का असर केवल अमेरिका या एशिया तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका वैश्विक व्यापार तंत्र पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है:
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स्मार्टफोन की कीमतों में इजाफा – टैरिफ की वजह से अमेरिकी बाजार में स्मार्टफोन की कीमतें 15-20% तक बढ़ सकती हैं।
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वैश्विक उत्पादन शृंखला में बदलाव – कंपनियों को अब मजबूरन अमेरिका में निर्माण पर विचार करना पड़ सकता है।
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यूरोपीय यूनियन के साथ व्यापार तनाव – EU से आने वाले उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने का फैसला अमेरिका-यूरोप व्यापार रिश्तों में खटास पैदा कर सकता है।
क्या कंपनियां करेंगी अमेरिका में निर्माण?
फिलहाल ज़्यादातर स्मार्टफोन कंपनियां भारत, चीन, वियतनाम और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में उत्पादन करती हैं।
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एप्पल भारत में iPhone 15 जैसे मॉडल बना रहा है।
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सैमसंग की दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री नोएडा, भारत में स्थित है।
हालांकि, ट्रंप के इस नए टैरिफ ऐलान के बाद कंपनियों को अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के बारे में सोचना पड़ सकता है। मगर इससे उनकी लागत और प्रोडक्शन टाइमलाइन पर गहरा असर पड़ेगा।
क्या यह फैसला चुनावी रणनीति है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह फैसला 2024 में राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद उनकी वापसी की तैयारी का संकेत है।
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"अमेरिका फर्स्ट" और "मेक इन अमेरिका" जैसे नारों पर ट्रंप पहले भी चुनाव जीत चुके हैं।
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इस नीति से वे अमेरिकी मजदूर वर्ग को साधने की कोशिश कर रहे हैं जो ग्लोबल कंपनियों से अपनी नौकरियों को खतरे में मानता है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का यह टैरिफ फैसला सिर्फ एक व्यापारिक नीति नहीं, बल्कि वैश्विक उत्पादन और बिक्री की प्रणाली में बड़ा बदलाव लाने वाला कदम है।
जहां यह अमेरिका में रोजगार और स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा दे सकता है, वहीं इससे स्मार्टफोन की कीमतें, उपलब्धता और वैश्विक व्यापार संतुलन पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
1 जून 2025 से लागू होने वाला यह फैसला आने वाले महीनों में व्यापार जगत, निवेशकों, उपभोक्ताओं और अंतरराष्ट्रीय सरकारों के बीच एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना रहेगा।