जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका है। भारत ने इस हमले को लेकर पाकिस्तान को सख्त चेतावनी दी है कि वह आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को किसी कीमत पर नहीं छोड़ेगा। दूसरी ओर, पाकिस्तान की ओर से भी बयानबाजी तेज हो गई है, जिसमें कहा गया है कि भारत अगर हमला करता है तो उसे "कड़ा जवाब" मिलेगा। ऐसे संवेदनशील माहौल में, पाकिस्तान सरकार ने एक ऐसा कदम उठाया है जिसने आम जनता समेत विश्लेषकों को भी हैरान कर दिया है — मंत्रियों के वेतन में भारी इजाफा।
🔹 भारत का रुख सख्त, पाकिस्तान में हलचल
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हो गई हैं। इस हमले में शामिल आतंकियों की पहचान और उनके सरगनाओं तक पहुंचने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि वह न केवल आतंकियों को बल्कि उन्हें शरण और समर्थन देने वालों को भी बख्शेगा नहीं।
इस सख्त रुख के बाद पाकिस्तान की तरफ से LoC पर फौज की तैनाती बढ़ा दी गई है। साथ ही, कई पाकिस्तानी मंत्री सार्वजनिक रूप से यह दावा कर चुके हैं कि भारत कभी भी हमला कर सकता है।
तनाव के बीच मंत्रियों का वेतन बढ़ाया
ऐसे संवेदनशील समय में पाकिस्तान सरकार ने केंद्रीय और राज्य मंत्रियों के वेतन, भत्तों और विशेषाधिकारों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने "वेतन, भत्ता और विशेषाधिकार संशोधन अधिनियम 2025" पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिससे यह कानून बन गया है।
पाकिस्तानी मीडिया चैनल जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इस अधिनियम के तहत मंत्रियों के मासिक वेतन में 188 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है।
🔹 पहले कितना था वेतन? अब कितना मिलेगा?
इससे पहले पाकिस्तान में:
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केंद्रीय मंत्रियों को ₹200,000 प्रति माह
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राज्य मंत्रियों को ₹180,000 प्रति माह वेतन मिलता था।
अब नए संशोधन के अनुसार:
यानि कि लगभग दोगुने से भी अधिक की बढ़ोतरी कर दी गई है। यह वेतन वृद्धि वर्ष 2025 की शुरुआत से ही प्रभावी मानी जाएगी, यानि कि यह बैकडेटेड है और मंत्रियों को बढ़ा हुआ वेतन पहले महीनों का भी मिलेगा।
किसी ने नहीं किया विरोध
इस मसले पर खास बात यह है कि सरकारी वेतन बढ़ाने के इस प्रस्ताव पर किसी भी सियासी दल ने कोई विरोध नहीं जताया।
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सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) की विधायक रोमिना खुर्शीद आलम ने संसद में यह विधेयक पेश किया।
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विपक्ष और ट्रेजरी बेंच दोनों ने इस विधेयक को समर्थन दिया।
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इसके बाद संसद की वित्त समिति, जिसकी अध्यक्षता नेशनल असेंबली के अध्यक्ष अयाज सादिक ने की, ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
यानी यह फैसला सर्वसम्मति से पारित हुआ, जबकि आम जनता महंगाई, बेरोजगारी और सुरक्षा संकट जैसे मुद्दों से जूझ रही है।
जनता में नाराजगी के संकेत
पाकिस्तान में आर्थिक हालात पहले से ही नाजुक हैं।
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महंगाई आसमान पर है।
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पेट्रोल, बिजली और गैस की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
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IMF से राहत पैकेज लेने के बाद भी आम जनता को कोई बड़ी राहत नहीं मिली है।
ऐसे समय में जब जनता की कमर टूट चुकी है, तब मंत्रियों को लाखों रुपये मासिक वेतन देना और वो भी बिना किसी विरोध के, यह निर्णय जनता में नाराजगी और असंतोष का कारण बन सकता है।
भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ा तनाव
पाकिस्तान की ओर से एलओसी पर लगातार सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं हो रही हैं।
इस बीच भारत में राजनीतिक और सैन्य स्तर पर सख्त कार्रवाई के संकेत मिल रहे हैं, वहीं पाकिस्तान के मंत्री मीडिया में बयान दे रहे हैं कि "भारत अगर हमला करेगा तो उन्हें पछताना पड़ेगा।"
निष्कर्ष
भारत-पाकिस्तान के बीच जब हालात इतने नाजुक हैं, तब पाकिस्तान सरकार का यह फैसला — कि मंत्रियों का वेतन दोगुने से भी ज्यादा कर दिया जाए — आश्चर्यजनक और चिंताजनक है। यह सवाल उठता है कि क्या यह सरकार देश की सुरक्षा और आर्थिक हालत से ज्यादा अपने नेताओं की जेबें भरने में रुचि रखती है?
जहां एक ओर भारत आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की बात कर रहा है, वहीं पाकिस्तान में आर्थिक संकट और आतंकी संगठनों की गतिविधियों के बावजूद राजनीति का केंद्र बिंदु वेतन और भत्ते बन गए हैं।