मुंबई, 03 सितम्बर, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। केंद्र सरकार ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को बड़ी राहत दी है। अब 31 दिसंबर 2024 तक यहां पहुंचे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोग बिना पासपोर्ट के भारत में रह सकेंगे। गृह मंत्रालय ने बुधवार को आदेश जारी कर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के तहत पासपोर्ट नियमों में बदलाव की जानकारी दी। आदेश में कहा गया कि जिन शरणार्थियों के पास वैध पासपोर्ट या दस्तावेज थे और उनकी वैधता खत्म हो चुकी है, वे भी भारत में रहने के हकदार होंगे। इससे पहले 2014 तक आए लोगों को ही यह अनुमति दी गई थी।
केंद्र ने इस साल 11 मार्च को पूरे देश में CAA लागू किया था और मई में पहली बार 14 शरणार्थियों को नागरिकता दी गई थी। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि नेपाल और भूटान के नागरिकों को भारत में आने-जाने या ठहरने के लिए पासपोर्ट और वीजा की जरूरत नहीं है, बशर्ते वे सीमा मार्ग से प्रवेश करें। हालांकि, अगर वे चीन, मकाऊ, हॉन्गकॉन्ग या पाकिस्तान से भारत आते हैं तो मान्य पासपोर्ट दिखाना अनिवार्य होगा। भारतीय नागरिकों को भी नेपाल और भूटान की सीमा से आने-जाने के लिए पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यदि वे इन दोनों देशों के अलावा किसी अन्य देश से भारत लौटते हैं तो पासपोर्ट दिखाना होगा। वहीं, भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मियों के परिजनों को, जो सरकारी परिवहन से यात्रा कर रहे हों, पासपोर्ट या वीजा की जरूरत नहीं होगी।
CAA के प्रावधानों के अनुसार 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस कानून का भारतीय नागरिकों पर कोई असर नहीं है क्योंकि उन्हें संविधान के तहत पहले से ही नागरिकता का अधिकार मिला हुआ है। आवेदक ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए आवेदन कर सकते हैं और पासपोर्ट या अन्य यात्रा दस्तावेज न होने पर भी नागरिकता के लिए पात्र होंगे। इसमें भारत में कम से कम 5 साल रहने की शर्त रखी गई है, जबकि सामान्य प्रक्रिया में यह अवधि 11 साल होती है।