भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण मुलाकात हुई, जो भारत-चीन सीमा विवाद को सुलझाने और दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। यह मुलाकात 24वें दौर की विशेष प्रतिनिधि (SR) वार्ता के तहत आयोजित की गई, जिसमें दोनों पक्षों ने सीमा पर तनाव कम करने और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर स्थिरता बनाए रखने पर विशेष रूप से चर्चा की।
सीमा पर शांति और सहयोग की दिशा में प्रयास
अजीत डोभाल ने बातचीत की शुरुआत में यह स्पष्ट किया कि वर्तमान में भारत और चीन की सीमाएं शांति की स्थिति में हैं। दोनों देशों के बीच बढ़ते हुए तनाव और गतिरोध को देखते हुए यह एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। डोभाल ने कहा कि इस शांति और स्थिरता के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कजाकिस्तान में आयोजित ब्रिक्स समिट के दौरान हुई सहमति का बड़ा हाथ है। इस समझौते ने दोनों देशों के रिश्तों में सुधार का रास्ता खोल दिया है, जिससे केवल सीमा विवाद ही नहीं, बल्कि अन्य कई क्षेत्रों में भी द्विपक्षीय सहयोग बढ़ा है।
75 सालों के राजनयिक संबंधों का जश्न
अजीत डोभाल ने यह भी बताया कि भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों को 75 साल पूरे हो गए हैं। इस लंबी अवधि में दोनों देशों के राजनयिकों और सेनाओं ने सीमा सुरक्षा और स्थिरता के लिए जिम्मेदारी निभाई है। उन्होंने कहा कि यह समय इन उपलब्धियों का उत्सव मनाने का है, क्योंकि दोनों देशों के बीच शांति और सौहार्द स्थापित हो चुका है। इसके साथ ही, उन्होंने भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती पर भी जोर दिया।
चीन की भारत की प्रमुख चिंताओं को हल करने की प्रतिबद्धता
मुलाकात में वांग यी ने भारत की तीन प्रमुख चिंताओं को हल करने का आश्वासन दिया है। इनमें भारत की उर्वरक सामग्री, दुर्लभ मृदा (Rare Earth Elements) और सुरंग खोदने वाली मशीनों की जरूरतें शामिल हैं। यह भरोसा दिलाया गया है कि चीन इन आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में भारत का सहयोग करेगा। यह कदम भारत के औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इन संसाधनों की उपलब्धता से देश की उत्पादन क्षमता और आर्थिक विकास को मजबूती मिलेगी।
भविष्य की दिशा
दोनों पक्षों ने इस मुलाकात में सीमा विवाद के जल्द समाधान और भविष्य में शांति बनाए रखने के लिए निरंतर संवाद की आवश्यकता पर भी जोर दिया। विशेष प्रतिनिधि वार्ता का उद्देश्य दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ाना और किसी भी प्रकार के संघर्ष को टालना है। इस वार्ता के सफल होने से क्षेत्रीय स्थिरता बढ़ेगी और दोनों देशों के नागरिकों को भी फायदा होगा।
निष्कर्ष
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई यह मुलाकात दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार और सीमा विवाद के समाधान के लिए एक अहम मोड़ साबित हो सकती है। शांति और सहयोग की इस पहल से न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा में सुधार होगा, बल्कि आर्थिक और रणनीतिक क्षेत्रों में भी द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलेगी। आने वाले दिनों में दोनों देशों की सरकारों के बीच यह संवाद जारी रहने की उम्मीद है, जिससे सीमा पर स्थिरता बनी रहे और भारत-चीन के बीच विश्वास का माहौल विकसित हो सके।