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New Insurance Bill 2025: सरकार ले आई नया कानून, आम आदमी को जिसका इंतजार था, वो मिला या नहीं?

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Posted On:Tuesday, December 16, 2025

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते शुक्रवार को ‘सबका बीमा, सबकी रक्षा (बीमा कानून संशोधन) विधेयक, 2025’ को हरी झंडी दे दी है। संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होने वाला यह बिल भारत के एक दशक से अधिक पुराने बीमा कानूनों को आधुनिक बनाने का लक्ष्य रखता है। सरकार का दावा है कि इससे बीमा का दायरा बढ़ेगा और पॉलिसीधारकों के हितों की सुरक्षा बेहतर होगी। हालांकि, इस मसौदे ने इंडस्ट्री के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं, क्योंकि विदेशी निवेश (FDI) को पूरी तरह खोल दिया गया है, लेकिन 'कंपोजिट लाइसेंस' जैसी प्रमुख मांग को शामिल नहीं किया गया है।

विदेशी कंपनियों के लिए खुले 100% दरवाजे

इस बिल का सबसे बड़ा और सबसे अधिक चर्चा में रहने वाला पहलू है: बीमा कंपनियों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की सीमा को 74% से बढ़ाकर 100% करना।

यह फैसला भारतीय बीमा बाजार को पूरी तरह से ग्लोबल बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इसका सीधा अर्थ है कि विदेशी बीमा कंपनियाँ अब भारत में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए किसी भारतीय पार्टनर पर निर्भर नहीं रहेंगी।

आम पॉलिसीधारक पर असर:

  • पूंजी और तकनीक: 100% मालिकाना हक मिलने से विदेशी कंपनियाँ भारी पूँजी और नई तकनीक लाएंगी।

  • बढ़ा हुआ कॉम्पिटिशन: बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे ग्राहकों को बेहतर और सस्ते बीमा उत्पाद मिल सकते हैं।

  • सेवा में सुधार: आपको बेहतर जोखिम प्रबंधन (Risk Management), तेजी से क्लेम सेटलमेंट (Fast Claim Settlement) और नए तरह के इनोवेटिव इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स देखने को मिल सकते हैं।

जानकारों का मानना है कि इससे न केवल बीमा की पहुँच बढ़ेगी, बल्कि ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिसेज के आने से सर्विस की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

LIC और IRDAI को मिली नई 'सुपरपावर'

पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए, रेगुलेटर यानी IRDAI (इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया) को सेबी (SEBI) की तर्ज पर और अधिक शक्तियाँ दी जा रही हैं:

  • गलत मुनाफे की वसूली: अब IRDAI नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों से उनके 'गलत तरीके से कमाए गए मुनाफे' को वसूल कर सकेगा।

  • वन-टाइम रजिस्ट्रेशन: बीमा एजेंटों और बिचौलियों के लिए बार-बार रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराने की प्रक्रिया को खत्म कर 'वन-टाइम रजिस्ट्रेशन' की व्यवस्था लाने का प्रस्ताव है, जिससे काम में तेजी आएगी।

देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC (भारतीय जीवन बीमा निगम) को भी इस बिल से राहत मिली है। LIC को अब नए जोनल ऑफिस खोलने के लिए सरकारी मंजूरी का इंतजार नहीं करना पड़ेगा, जिससे उसे कामकाज में अधिक आजादी मिलेगी और वह निजी कंपनियों से कड़ा मुकाबला कर सकेगी।


🛑 जिस बड़े बदलाव की थी उम्मीद, उस पर फिरा पानी

तमाम सकारात्मक पहलुओं के बावजूद, इस बिल में कुछ ऐसी कमियाँ रह गई हैं जिन्होंने इंडस्ट्री को निराश किया है। सबसे बड़ी मायूसी 'कंपोजिट लाइसेंस' (Composite License) को शामिल न किए जाने को लेकर है।

  • क्या है कंपोजिट लाइसेंस? यह एक ही कंपनी को जीवन बीमा (Life Insurance) और सामान्य बीमा (General Insurance - हेल्थ, कार, आदि) दोनों बेचने की अनुमति देता है।

  • इंडस्ट्री की मांग: इंडस्ट्री लंबे समय से इसकी मांग कर रही थी, क्योंकि इससे ग्राहकों को एक ही जगह से सभी प्रकार की पॉलिसी का कंबाइंड पैकेज मिल सकता था और पॉलिसी प्रबंधन आसान हो जाता।

सरकार ने फिलहाल इस व्यवस्था को मौजूदा बिल से बाहर रखा है, यानी आपको अभी भी लाइफ और जनरल इंश्योरेंस के लिए अलग-अलग कंपनियों के पास ही जाना होगा। इसके अलावा, नई बीमा कंपनियों के लिए पूंजी की शर्त (₹100 करोड़) को कम नहीं किया गया है, जिससे छोटे खिलाड़ियों का बाजार में आना मुश्किल बना रहेगा।

विश्लेषकों का मानना है कि यह बिल निवेश के लिहाज से क्रांतिकारी है, लेकिन आम ग्राहकों की सुविधा से जुड़े कुछ अहम सुधारों के मामले में यह एक अधूरा अवसर साबित हो सकता है।


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